Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1124
ऋषिः - असितः काश्यपो देवलो वा
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
3
अ꣢प꣣ द्वा꣡रा꣢ मती꣣नां꣢ प्र꣣त्ना꣡ ऋ꣢ण्वन्ति का꣣र꣡वः꣢ । वृ꣢ष्णो꣣ ह꣡र꣢स आ꣣य꣡वः꣢ ॥११२४॥
स्वर सहित पद पाठअ꣡प꣢꣯ । द्वा꣡रा꣢꣯ । म꣣तीना꣢म् । प्र꣣त्नाः꣢ । ऋ꣣ण्वन्ति । कार꣡वः꣢ । वृ꣡ष्णः꣢꣯ । ह꣡र꣢꣯से । आ꣣य꣡वः꣢ ॥११२४॥
स्वर रहित मन्त्र
अप द्वारा मतीनां प्रत्ना ऋण्वन्ति कारवः । वृष्णो हरस आयवः ॥११२४॥
स्वर रहित पद पाठ
अप । द्वारा । मतीनाम् । प्रत्नाः । ऋण्वन्ति । कारवः । वृष्णः । हरसे । आयवः ॥११२४॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1124
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 1; मन्त्र » 9
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 8; खण्ड » 1; सूक्त » 1; मन्त्र » 9
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 1; मन्त्र » 9
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 8; खण्ड » 1; सूक्त » 1; मन्त्र » 9
Acknowledgment
Meaning -
Veteran scholars and artists, blest with the flames and showers of the light and generosity of the omnificent lord of soma, open wide the doors of divine knowledge and will for all humanity over the world. (Rg. 9-10-6)