Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1384
ऋषिः - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः
देवता - अग्निः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
2
अ꣡च्छा꣢ नो या꣣ह्या꣡ व꣢हा꣣भि꣡ प्रया꣢꣯ꣳसि वी꣣त꣡ये꣢ । आ꣢ दे꣣वा꣡न्त्सोम꣢꣯पीतये ॥१३८४॥
स्वर सहित पद पाठअ꣡च्छ꣢꣯ । नः꣣ । याहि । आ꣢ । व꣣ह । अभि꣢ । प्र꣡या꣢꣯ꣳसि । वी꣣त꣡ये꣢ । आ । दे꣣वा꣢न् । सो꣡म꣢꣯पीतये । सो꣡म꣢꣯ । पी꣣तये ॥१३८४॥
स्वर रहित मन्त्र
अच्छा नो याह्या वहाभि प्रयाꣳसि वीतये । आ देवान्त्सोमपीतये ॥१३८४॥
स्वर रहित पद पाठ
अच्छ । नः । याहि । आ । वह । अभि । प्रयाꣳसि । वीतये । आ । देवान् । सोमपीतये । सोम । पीतये ॥१३८४॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1384
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 2; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 12; खण्ड » 2; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 2; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 12; खण्ड » 2; सूक्त » 1; मन्त्र » 2
Acknowledgment
Meaning -
Agni, leading light of knowledge, generous pioneer, come fast in all your glory, bring us the dearest powers for sustenance and advancement for the sake of peace and well-being, and bring the noble brilliancies along to celebrate success with the delight of soma. (Rg. 6-16-44)