Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1577
ऋषिः - विश्वामित्रो गाथिनः
देवता - इन्द्राग्नी
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
3
इ꣡न्द्रा꣢ग्नी꣣ अ꣡प꣢स꣣स्प꣢꣯र्युप꣣ प्र꣡ य꣢न्ति धी꣣त꣡यः꣢ । ऋ꣣त꣡स्य꣢ प꣣थ्या꣢३ अ꣡नु꣢ ॥१५७७॥
स्वर सहित पद पाठइ꣡न्द्रा꣢꣯ग्नी । इ꣡न्द्र꣢꣯ । अ꣣ग्नीइ꣡ति꣢ । अ꣡प꣢꣯सः । प꣡रि꣢꣯ । उ꣡प꣢꣯ । प्र । य꣣न्ति । धीत꣡यः꣢ । ऋ꣣त꣡स्य꣢ । प꣣थ्याः꣢ । अ꣡नु꣢꣯ ॥१५७७॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्राग्नी अपसस्पर्युप प्र यन्ति धीतयः । ऋतस्य पथ्या३ अनु ॥१५७७॥
स्वर रहित पद पाठ
इन्द्राग्नी । इन्द्र । अग्नीइति । अपसः । परि । उप । प्र । यन्ति । धीतयः । ऋतस्य । पथ्याः । अनु ॥१५७७॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1577
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 7; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » ; सूक्त » 2; मन्त्र » 3
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 16; खण्ड » 1; सूक्त » 2; मन्त्र » 3
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 7; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » ; सूक्त » 2; मन्त्र » 3
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 16; खण्ड » 1; सूक्त » 2; मन्त्र » 3
Acknowledgment
Meaning -
Indra and Agni, lord of power and lord of light and law, the pioneer forces of action and reflection go forward, all round, and close to the target, following the paths of truth and law of rectitude. (Swami Dayanand interprets Indra and Agni as wind and electric energy of space, and the movements of this energy in waves directed to the targets of purpose). (Rg. 3-12-7)