Sidebar
सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 670
ऋषिः - विश्वामित्रो गाथिनः
देवता - इन्द्राग्नी
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम -
2
इ꣡न्द्रा꣢ग्नी जरि꣣तुः꣡ सचा꣢꣯ य꣣ज्ञो꣡ जि꣢गाति꣣ चे꣡त꣢नः । अ꣣या꣡ पा꣢तमि꣣म꣢ꣳ सु꣣त꣢म् ॥६७०॥
स्वर सहित पद पाठइ꣡न्द्रा꣢꣯ग्नी । इ꣡न्द्र꣢꣯ । अ꣣ग्नीइ꣡ति꣢ । ज꣢रितुः꣣ । स꣡चा꣢꣯ । य꣣ज्ञः꣢ । जि꣢गाति । चे꣡तनः꣢꣯ । अ꣣या꣢ । पा꣣तम् । इम꣢म् । सु꣣त꣢म् ॥६७०॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्राग्नी जरितुः सचा यज्ञो जिगाति चेतनः । अया पातमिमꣳ सुतम् ॥६७०॥
स्वर रहित पद पाठ
इन्द्राग्नी । इन्द्र । अग्नीइति । जरितुः । सचा । यज्ञः । जिगाति । चेतनः । अया । पातम् । इमम् । सुतम् ॥६७०॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 670
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 7; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 1; खण्ड » 2; सूक्त » 4; मन्त्र » 2
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 7; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 1; खण्ड » 2; सूक्त » 4; मन्त्र » 2
Acknowledgment
Meaning -
Indra, lord of wealth and power, Agni, lord of light and knowledge, friends of the supplicant celebrant, the child is yajna, worthy of love, dedication and consecration, sensitive and intelligent, and moves forward to learn. Nurture him with the holy voice and the Word. (Rg. 3-12-2)