Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 6 > सूक्त 7

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 6/ सूक्त 7/ मन्त्र 2
    सूक्त - अथर्वा देवता - सोमः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - असुरक्षयण सूक्त

    येन॑ सोम साह॒न्त्यासु॑रान्र॒न्धया॑सि नः। तेना॑ नो॒ अधि॑ वोचत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    येन॑ । सो॒म॒ । सा॒ह॒न्त्य॒ । असु॑रान् । र॒न्धया॑सि । न॒: । तेन॑ । न॒: । अधि॑ । वो॒च॒त॒ ॥७.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    येन सोम साहन्त्यासुरान्रन्धयासि नः। तेना नो अधि वोचत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    येन । सोम । साहन्त्य । असुरान् । रन्धयासि । न: । तेन । न: । अधि । वोचत ॥७.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 6; सूक्त » 7; मन्त्र » 2

    पदार्थ -
    (साहन्त्य) हे विजयी शूरों में रहनेवाले (सोम) बड़े ऐश्वर्यवाले परमात्मन् ! (येन) जिस [मार्ग] से (असुरान्) असुरों को (नः) हमारे लिये (रन्धयासि) तू वश में करे, (तेन) उसी से (नः) हमारे लिये (अधि) अनुग्रह से (वोचत=अवोचत) आपने कथन किया है ॥२॥

    भावार्थ - परमेश्वर अपनी सनातनी वेदविद्या द्वारा भूत, भविष्यत् और वर्तमान में रक्षा करता है ॥२॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top