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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 6

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 6/ मन्त्र 4
    सूक्त - विश्वामित्रः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-६

    इन्द्र॒ सोमाः॑ सु॒ता इ॒मे तव॒ प्र य॑न्ति सत्पते। क्षयं॑ च॒न्द्रास॒ इन्द॑वः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्र॑ । सोमा॑: । सु॒ता: । इ॒मे । तव॑ । प्र । य॒न्ति॒ । स॒त्ऽप॒ते॒ ॥ क्षय॑म् । च॒न्द्रास॑: । इन्द॑व: ॥६.४॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्र सोमाः सुता इमे तव प्र यन्ति सत्पते। क्षयं चन्द्रास इन्दवः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्र । सोमा: । सुता: । इमे । तव । प्र । यन्ति । सत्ऽपते ॥ क्षयम् । चन्द्रास: । इन्दव: ॥६.४॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 6; मन्त्र » 4

    Meaning -
    Indra, lord of knowledge, protector of truth and lover of rectitude, all these soma essences of nature, distilled, seasoned and reinforced, soothing sweet and inspiring, trickling in drops and flowing in streams, come to your abode.

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