अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 67/ मन्त्र 5
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - सूर्यः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - दीर्घायु सूक्त
पूषे॑म श॒रदः॑ श॒तम् ॥
स्वर सहित पद पाठपूषे॑म। श॒रदः॑। श॒तम् ॥६७.५॥
स्वर रहित मन्त्र
पूषेम शरदः शतम् ॥
स्वर रहित पद पाठपूषेम। शरदः। शतम् ॥६७.५॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 67; मन्त्र » 5
सूचना -
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः - ५−(पूषेम) पूष पुष्टौ। पुष्टिं लभेमहि ॥
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