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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1404
ऋषिः - तिरश्चीराङ्गिरसः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - अनुष्टुप्
स्वरः - गान्धारः
काण्ड नाम -
3
इ꣡न्द्र꣢ शु꣣द्धो꣡ हि नो꣢꣯ र꣣यि꣢ꣳ शु꣣द्धो꣡ रत्ना꣢꣯नि दा꣣शु꣡षे꣢ । शु꣣द्धो꣢ वृ꣣त्रा꣡णि꣢ जिघ्नसे शु꣣द्धो꣡ वाज꣢꣯ꣳ सिषाससि ॥१४०४॥
स्वर सहित पद पाठइ꣡न्द्र꣢꣯ । शुद्धः । हि । नः꣣ । रयि꣢म् । शु꣣द्धः꣢ । र꣡त्ना꣢꣯नि । दा꣣शु꣡षे꣢ । शु꣣द्धः꣢ । वृ꣣त्रा꣡णि꣢ । जि꣣घ्नसे । शुद्धः꣢ । वा꣡ज꣢꣯म् । सि꣣षाससि ॥१४०४॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्र शुद्धो हि नो रयिꣳ शुद्धो रत्नानि दाशुषे । शुद्धो वृत्राणि जिघ्नसे शुद्धो वाजꣳ सिषाससि ॥१४०४॥
स्वर रहित पद पाठ
इन्द्र । शुद्धः । हि । नः । रयिम् । शुद्धः । रत्नानि । दाशुषे । शुद्धः । वृत्राणि । जिघ्नसे । शुद्धः । वाजम् । सिषाससि ॥१४०४॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1404
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 9; मन्त्र » 3
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 12; खण्ड » 3; सूक्त » 3; मन्त्र » 3
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(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 6; अर्ध-प्रपाठक » 2; दशतिः » ; सूक्त » 9; मन्त्र » 3
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 12; खण्ड » 3; सूक्त » 3; मन्त्र » 3
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विषय - शुद्धता Purification [शुद्धीकरण ]
पदार्थ -
१. हे (इन्द्र) = परमैश्वर्यशाली प्रभो ! (शुद्धः) = आप पूर्ण शुद्ध हैं । (हि) = निश्चय से (न:) = हमें (रयिम्) = धन को (सिषाससि ) = देना चाहते हैं। यदि हम अपने जीवनों को शुद्ध बनाते हैं – नित्य सत्त्वस्थ होने का प्रयत्न करते हैं तो आप हमारे योगक्षेम का अवश्य ध्यान करते । २. हे प्रभो ! (शुद्धः) = आप पूर्ण शुद्ध हो (दाशुषे) = आपके प्रति अपना अर्पण करनेवाले के लिए आप (रत्नानि) = रत्नों को (सिषाससि) = देने की कामना करते हैं। प्रभुभक्त को सदा उत्तम रमणीय धन प्राप्त होते ही रहते हैं । ३. हे प्रभो ! (शुद्धः) = आप तो पूर्ण शुद्ध हैं ही। आप हमारे भी (वृत्राणि) = ज्ञान के आवरणभूत कामादि को जिघ्नसे नष्ट करते हैं। शुद्ध प्रभु का स्तवन हमारे जीवनों को भी शुद्ध बनाता है और उसमें से वासनाओं का उन्मूलन कर देता है। ४. हे प्रभो ! (शुद्धः) = पूर्ण शुद्ध आप हमें भी (वाजं सिषाससि) = वह शक्ति, त्याग व ज्ञान देते हैं जो हमें भी शुद्ध बना देता है। वाज शब्द के तीनों ही अर्थ हैं । शक्ति शरीर को शुद्ध बनाती है, त्याग मन को तथा ज्ञान बुद्धि को ।
भावार्थ -
हम शुद्ध जीवनवाले बनकर शुद्ध मार्ग से ही धन कमानेवाले बनें ।
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