Loading...

सामवेद के मन्त्र

सामवेद - मन्त्रसंख्या 1735
ऋषिः - गोतमो राहूगणः देवता - अश्विनौ छन्दः - उष्णिक् स्वरः - ऋषभः काण्ड नाम -
3

ए꣢꣫ह दे꣣वा꣡ म꣢यो꣣भु꣡वा꣢ द꣣स्रा꣡ हिर꣢꣯ण्यवर्त्तनी । उ꣣षर्बु꣡धो꣢ वहन्तु꣣ सो꣡म꣢पीतये ॥१७३५॥

स्वर सहित पद पाठ

आ꣢ । इ꣣ह꣢ । दे꣣वा꣢ । म꣣योभुवा । मयः । भु꣡वा꣢꣯ । द꣣स्रा꣢ । हि꣡र꣢꣯ण्यवर्त्तनी । हि꣡र꣢꣯ण्य । व꣣र्त्तनीइ꣡ति꣢ । उ꣣षर्बु꣡धः꣢ । उ꣣षः । बु꣡धः꣢꣯ । व꣣हन्तु । सो꣡म꣢꣯पीतये । सो꣡म꣢꣯ । पी꣣तये ॥१७३५॥


स्वर रहित मन्त्र

एह देवा मयोभुवा दस्रा हिरण्यवर्त्तनी । उषर्बुधो वहन्तु सोमपीतये ॥१७३५॥


स्वर रहित पद पाठ

आ । इह । देवा । मयोभुवा । मयः । भुवा । दस्रा । हिरण्यवर्त्तनी । हिरण्य । वर्त्तनीइति । उषर्बुधः । उषः । बुधः । वहन्तु । सोमपीतये । सोम । पीतये ॥१७३५॥

सामवेद - मन्त्र संख्या : 1735
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 8; अर्ध-प्रपाठक » 3; दशतिः » ; सूक्त » 9; मन्त्र » 2
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 19; खण्ड » 2; सूक्त » 4; मन्त्र » 2
Acknowledgment

पदार्थ -

(इह) = इस मानव शरीर में (देवा) = प्रकाशमय - प्रकाश प्राप्त करानेवाले ये अश्विनीदेव (आ) = सर्वथा (मयोभुवा) = [यद्वै शिवं तन्मयः] शिव-कल्याण-सुख प्राप्त करानेवाले हैं। प्राणापान की साधना से शरीर के मल नष्ट होकर स्वास्थ्य व सुख प्राप्त होता है। (दस्त्रा) = [दस्=Destroy] ये सब कूड़ा करकट व मलों को नष्ट करनेवाले हैं । मल-नाश के द्वारा मन व बुद्धि को निर्मल करके ये (हिरण्यवर्त्तनी) = ज्योतिर्मय मार्गवाले हैं । शरीर को ये नीरोग बनाते हैं तो मन को निर्मल और बुद्धि को ज्योतिर्मय

इस सारी बात का ध्यान करके, गोतम अपने मित्रों से कहते हैं कि आप सबको चाहिए कि - (उषर्बुधः) = प्रातः काल जागरणवाले होकर आप (सोमपीतये) = अपने अन्दर सोम का पान करने के लिए (वहन्तु) = इन प्राणापानों को धारण करें। प्राणायाम का यह सर्वमहान् लाभ है कि इससे शरीर में वीर्य की ऊर्ध्वगति होती है, मनुष्य ऊर्ध्वरेतस् बन पाता है। प्राणायाम के अभ्यास का सर्वोत्तम समय प्रात:काल है—‘उषर्बुधों को इसका अभ्यास करना चाहिए', ऐसा मन्त्र कह रहा है। ऐसा करने पर सोम=वीर्य हमारे शरीर में ही खप जाएगा और यह शरीर को दृढ़ व नीरोग बनाएगा । यह सुरक्षित वीर्य मानसवृत्ति को प्रसादमय बनाता है और मनुष्य की ज्ञानाग्नि का ईंधन बनकर उसे प्रदीप्त करता है ।

भावार्थ -

प्राणायाम से १. शरीर स्वस्थ व शिवमय होगा, २. मलों का दाह हो जाएगा, ३. जीवन-मार्ग ज्योतिर्मय बनेगा तथा ४. मनुष्य ऊर्ध्वरेतस् बन पाएगा।

इस भाष्य को एडिट करें
Top