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सामवेद के मन्त्र

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  • सामवेद - मन्त्रसंख्या 17
    ऋषिः - शुनः शेप आजीगर्तिः देवता - अग्निः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः काण्ड नाम - आग्नेयं काण्डम्
    155

    अ꣢श्वं꣣ न꣢ त्वा꣣ वा꣡र꣢वन्तं व꣣न्द꣡ध्या꣢ अ꣣ग्निं꣡ नमो꣢꣯भिः । स꣣म्रा꣡ज꣢न्तमध्व꣣रा꣡णा꣢म् ॥१७॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ꣡श्व꣢꣯म् । न । त्वा꣣ । वा꣡र꣢꣯वन्तम् व꣣न्द꣡ध्यै꣢ । अ꣣ग्नि꣢म् न꣡मो꣢꣯भिः । स꣣म्रा꣡ज꣢न्तम् । स꣣म् । रा꣡ज꣢꣯न्तम् । अ꣣ध्वरा꣡णा꣢म् ॥१७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अश्वं न त्वा वारवन्तं वन्दध्या अग्निं नमोभिः । सम्राजन्तमध्वराणाम् ॥१७॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अश्वम् । न । त्वा । वारवन्तम् वन्दध्यै । अग्निम् नमोभिः । सम्राजन्तम् । सम् । राजन्तम् । अध्वराणाम् ॥१७॥

    सामवेद - मन्त्र संख्या : 17
    (कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 1; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » 2; मन्त्र » 7
    (राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 1; खण्ड » 2;
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    अब वन्दना करने के लिए परमात्मा का आह्वान करते हैं।

    पदार्थ

    (वारवन्तम्) डाँस, मच्छर आदि को निवारण करनेवाले बालों से युक्त (अश्वं न) घोड़े के समान (वारवन्तम्) विपत्तिनिवारण के सामर्थ्यों से युक्त, (अध्वराणाम्) हिंसादि दोषों से रहित यज्ञों के (सम्राजन्तम्) सम्राट् के समान (त्वा) आप (अग्निम्) तेजस्वी परमात्मा को (नमोभिः) नमस्कारों से (वन्दध्यै) वन्दना करने के लिए [(आहुवे) पुकारता हूँ] ॥७॥ अश्वं न त्वा वारवन्तम् में श्लिष्टोपमाङ्कार है। सम्राजन्तम् अध्वराणाम् में लुप्तोपमा है ॥७॥

    भावार्थ

    घोड़ा जैसे बालों से डाँस, मच्छर आदि का निवारण करता है, वैसे परमेश्वर अपने निवारणसामर्थ्यों से विपत्ति आदि का निवारण करता है। जैसे सम्राट् का अपने राज्य में सब पर प्रभुत्व होता है, वैसे ही परमात्मा विविध यज्ञों का प्रभु है। अतः ध्यान-यज्ञ में श्रद्धा के साथ सबको उसे पुकारना चाहिए ॥७॥

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    पदार्थ

    (अश्वं न वारवन्तम्) दंशमशक निवारक बालवाले “वारवन्तं बालवन्तं बाला दंशमशकनिवारणार्था भवन्ति” [निरु॰ ३.६२] घोड़े के समान अध्यात्मयाजी के वहनकर्ता विघ्नहर्ता एवं दोष-निवारणबल वाले तथा वरने योग्य ज्ञानानन्द गुणवाले—अपि च वार—वरण शरण रखने देने वाले (अध्वराणां सम्राजं तं त्वा-अग्निम्) विविध स्तुति प्रार्थना उपासना यज्ञों के अधिनायक प्रकाशक तुझ परमात्मा की (नमोभिः—वन्दध्यै) नमस्कारों से आत्मसमर्पण भावों से स्तुति करता हूँ।

    भावार्थ

    हे अध्यात्म यज्ञ की ओर ले जाने वाले, उसमें आने वाले विघ्न-बाधाओं दोष प्रकोपों को निवृत्त करने वाले घोड़े के समान संसार यात्रा सुख से कराने वाले परमात्मन्! विविध स्तुति प्रार्थनोपासनाओं से तेरी पूजा करता हूँ। मुझे अपनी शरण में स्वीकार कर॥७॥

    विशेष

    ऋषिः—आजीगर्तः शुनः शेपः (इन्द्रिय भोगों की दौड़ में शरीर गर्त में गिरा विषयलोलुप उत्थान का इच्छुक जन)॥<br>

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    विषय

    प्रभु-रक्षण से ही यज्ञ चलते हैं

    पदार्थ

    हम (वार-वन्तं)=प्रशस्तरूप से शत्रुओं का निवारण करनेवाले [वार= निवारण, मतुप् प्रशंसायाम्] (अश्वं न)=घोड़े के समान (त्वा)= उस (अग्रिङम्)=प्रभु का नमोभिः=नमस्कारों से (वन्दध्या)= वन्दन के लिए प्रवृत्त हुए हैं। किस प्रभु का ? (अध्वराणाम्) - सब यज्ञों के (सम्राजम्)= सम्राट् (तम्)= उस प्रभु का।
    पिछले मन्त्र में यह भावना स्पष्ट थी कि इन्द्रियाँ यज्ञों में प्रवृत्त रहें, इसके लिए प्रभुचिन्तन आवश्यक है। प्रभु - चिन्तन उन्हें असुरों के आक्रमण से बचाता है। इस मन्त्र में इसी भावना को इन शब्दों में कहा गया है कि जैसे उत्तम घोड़ा शत्रुओं पर आक्रमण कर उन्हें दूर भगा देता है, उसी प्रकार वे प्रभु भी सभी यज्ञध्वंसक बुरी वृत्तियों को दूर करके यज्ञ को निर्विघ्न पूरा कराते हैं। मनुष्य को सदा इस तत्त्व को समझते हुए प्रभु के प्रति नतमस्तक होना चाहिए। तभी हम अपने वास्तविक सुख का निर्माण कर सकेंगे, और ‘शुन: शेप' कहलाने के योग्य होंगे।

    भावार्थ

    परमेश्वर रक्षक न हो तो हम किसी भी कार्य को सफलता से सम्पन्न नहीं कर सकेंगे, अतः कभी भी सफलता का गर्व नहीं करना चाहिए।

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    विषय

    परमेश्वर की स्तुति

    भावार्थ

    भा० = हे अग्ने ! तू ( वारवन्तं अश्वं न ) = कष्ट निवारण के साधन रूप बालों से युक्त अश्व के समान ( वारवन्तं ) = कष्ट निवारक साधनों से सम्पन्न अथवा अज्ञान वारक, ज्ञानदीप्तियों और विघ्ननिवारक साधनों से सम्पन्न और (अध्वराणां सम्राजं तं ) = हिंसा रहित धर्म कार्य, यज्ञों के महान् सम्राट, उनके प्रकाशक और   उनमें स्वयं प्रकाशमान उस तुझ ( अग्निं  ) = अग्नि, प्रकाशस्वरूप ईश्वर को ( नमोभिः ) = हृदय के विनयों द्वारा (वन्दध्यै ) = वन्दना करते हैं ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ऋषिः - शुनः शेप:। 

    छन्द: - गायत्री। 
     

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    संस्कृत (1)

    विषयः

    अथ वन्दितुं परमात्मानमाह्वयति।

    पदार्थः

    (वारवन्तम्२) वारैः दंशमशकादिनिवारकैर्बालैः युक्तम् (अश्वम्) वाजिनम् (न) इव (वारवन्तम्) वारैः विपत्तिनिवारणसामर्थ्यैः युक्तम्। वाराः बालाः दंशवारणार्था भवन्ति इति निरुक्तम् १।२०। तथैव वारयति विपदादिकमेभिरिति वाराः निवारणसामर्थ्यानि। (अध्वराणाम्३) हिंसादिदोषवर्जितानां यज्ञानाम् (सम्राजन्तम्) सम्राडिवाचरन्तम्। सम्राडिवाचरतीति सम्राजति, सर्वप्रातिपदिकेभ्यः क्विब् वा वक्तव्यः। अ० ३।१।११ वा० इत्याचारार्थे क्विप्। शतरि द्वितीयैकवचने सम्राजन्तमिति रूपम्। (त्वा) त्वाम् (अग्निम्) तेजस्विनं परमात्मानम् (नमोभिः) नमस्कारैः (वन्दध्यै) वन्दितुम्। वदि अभिवादनस्तुत्योः। तुमर्थे सेसेनसेऽसेन्क्सेकसेनध्यैअध्यैन्०।’ अ० ३।४।९ इति तुमर्थे अध्यै प्रत्ययः। आहुवे आह्वयामि इत्युत्तरमन्त्रादाकृष्यते ॥७॥ अश्वं न त्वा वारवन्तम् इत्यत्र श्लिष्टोपमालङ्कारः। सम्राजन्तम् अध्वराणाम् इत्यत्र लुप्तोपमा ॥७॥

    भावार्थः

    अश्वो यथा बालैर्दंशमशकादीन् निवारयति तथा परमेश्वरः स्वनिवारणसामर्थ्यैर्विपदादिकं निवारयति। यथा सम्राट् स्वकीये राज्ये सर्वेषां प्रभुस्तथा परमात्मा विविधयज्ञानां प्रभुः। अतो ध्यानयज्ञे श्रद्धया स सर्वैराह्वातव्यः ॥७॥

    टिप्पणीः

    १. ऋ० १।२७।१, साम० १६३४। २. प्रशंसायां मतुप्। प्रशस्तकेसरवन्तम् अश्वमिवेति अर्चिष्ठत्वस्य उपमा—इति भ०। ३. राज्यपालनाग्निहोत्रादिशिल्पान्तानां यज्ञानां मध्ये इति ऋ० १।२७।१ भाष्ये द०। तत्र दयानन्दर्षिणा मन्त्रोऽयं विद्वत्पक्षे व्याख्यातः, भौतिकाग्नेः परमेश्वरस्य चापि संकेतः कृतः।

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    इंग्लिश (4)

    Meaning

    With homage, O God, I revere like a long-tailed steed, Thee, imperial Lord of non-violent religious deeds.

    Translator Comment

    Just as a horse with the hair of his tail, wards off flies and mosquitoes that bite him, so does God remove from our soul the evil passions of lust and anger.^

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    Meaning

    Agni, brilliant and illuminating power and presence of yajnas from the homely agnihotra to the highest programmes of humanity, like a tempestuous horse of flying hair, we praise you and celebrate you with homage and offerings of food and oblations. (Rg. 1-27-1)

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    Translation

    With homage, I revere Thee O God, Who destroyest our internal and external foes. asa horse brushes away the flies which trouble him. Thou art the Lord of all noble non-violent deeds.

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    Translation

    With deep reverence, we express our obligations to the virtues of the fire-divine, the sovereign Lord of fire-rituals, whose flames resemble the hairy tail of a horse (to drive away worms and insects). (Cf. S. 1634; Rv I.27.1)

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    गुजराती (1)

    पदार्थ

    પદાર્થ : (अश्वं न वारवन्तम्) દંશમશક નિવારક બાલવાળા ઘોડાની સમાન અધ્યાત્મયાજીનું વહનકર્તા, વિઘ્નહર્તા અને દોષ-નિવારણ બળવાળા તથા વરણ-સ્વીકાર કરવા યોગ્ય જ્ઞાન-આનંદ ગુણવાળા (अध्वराणां सम्राजं तं त्वा अग्निम्) વિવિધ સ્તુતિ-પ્રાર્થના-ઉપાસના યજ્ઞોના અધિનાયક, પ્રકાશક તારી-પરમાત્માની (नमोभिः वंदध्याः) નમસ્કારો દ્વારા આત્મસમર્પણ ભાવથી સ્તુતિ કરું છું. (૭)

    भावार्थ

    ભાવાર્થ : હે અધ્યાત્મયજ્ઞની તરફ લઈ જનાર, તેમાં આવનારા વિઘ્ન-બાધાઓ, દોષ પ્રકોપોનું નિવારણ કરનારા, ઘોડાની સમાન સંસાર યાત્રા સુખ પૂર્વક કરાવનાર પરમાત્મન્ ! વિવિધ સ્તુતિ-પ્રાર્થનાઉપાસનાઓ દ્વારા તારી પૂજા કરું છું. મને તારા શરણમાં સ્વીકાર કર. (૭)

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    उर्दू (1)

    Mazmoon

    ہماری کامیابی کا راز

    Lafzi Maana

    (وار ونتم اشوم نہ) اُتم نسل اور بالوں والا گھوڑا جیسے اپنے اُوپر حملہ کرنے والے مکھّی مچھّر وغیرہ دُکھ دینے والے جیوؤں کو گردن اور پُونچھ (دُم) کے بالوں سے ہٹا دیتا ہے اور راجہ اپنی پرجا پر پے در پے حملہ کرنے یا ستانے والوں کو اپنی شکتی سے نوارن کر سُکھ پہنچاتا ہے یا جیسے سُوریہ اپنے پرکاش سے اندھکار کو مٹا دیتا ہے، ویسے (گُورا اگنِم) آپ پرماتما اگنی رُوپ میں ہمارے اندر براجمان ہوتے ہوئے کام کرودھ آدی دوشوں اور اندر کی بُرائیوں کو اپنی پریرنا سے چُھڑا دیتے ہیں۔ لہٰذا (تم) اُس آپ کی ہم اُپاسک عابِد لوگ (نموبھی) نمسکاروں اور اُنّ وغیرہ اُتم پدارتھوں کی آہوتی دیتے ہوئے آپ کے سہارے پرانیوں کی سیوا کرتے ہوئے (وند دیہی) حمد و ثنا کرتے ہیں۔ کیونکہ (ادھورا نام) ہنسا وغیرہ بُرائیوں سے الگ تھلگ جو اُپاسنا سیوا پر اُپکار وغیرہ کے یگیہ کاریہ ہیں اُن کے آپ (سمراجم) سمراٹ ہیں۔ ہماری کامیابی کا راز پرماتما ہے، جس کی پریرنا (رغبت) سے ہماری بُرائیاں دُور ہو کر ہمیں سپھلتا یا کامرانی حاصل ہوتی ہے۔ لہٰذا اُس یگیہ سوروپ سب کو بدی سے دُور کرنے اور اچھائیوں کے راستے پر ڈالنے والے ایشور سے ہی ہمشہ جُڑے رہیں۔

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    मराठी (2)

    भावार्थ

    घोडा जसा केसांद्वारे डास, मच्छर इत्यादींचे निवारण करतो, तसेच परमेश्वर आपल्या निवारण सामर्थ्याने विपत्तींचे निवारण करतो. जसे सम्राटाचे आपल्या राज्यात सर्वांवर प्रभुत्व असते, तसेच परमात्मा विविध यज्ञांचा राजा आहे. त्यासाठी सर्वांनी ध्यान-यज्ञात श्रद्धापूर्वक त्याला आळवावे ॥७॥

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    विषय

    आता वंदनेकरीता परमात्म्याचे आवाहन करीत आहेत -

    शब्दार्थ

    (अश्वंन) घोडा जसा आपल्या केसांनी वा पुच्छाने डास, माशा आदी कीटकांचे निवारण करतो, तसे (वारक्तम्) आमच्यापासून विषति दु:ख आदीचे निवारण करणाऱ्या परमेश्वराला तसेच (अध्वराणाम्) हिंसादी दोषांपासून मुक्त यज्ञाचा (सम्राजन्तम्) जो सम्राट असल्याप्रमाणे आहे, अशा (त्वा) हे परमेश्वर, आपणाला (अग्निम्) तेजस्वी परमात्म्याला मी (एक याज्ञिक उपासक) (नमोभि:) अनेक नमस्कारांद्वारे (वन्दध्यै) आपली वंदना करण्यासाठी (आहुवे) बोलावित आहे. ।।७।।

    भावार्थ

    ज्याप्रमाणे घोडा आपल्या केसांनी डास, चिलटे, माशा आदीचे निवारण करतो, तद्वत परमेश्वर आपल्या निवारण सामर्थ्याने उपासकांच्या विपत्ती आदीचे निवारण करतो. जसा एक सम्राट आपल्या राज्यात सर्वांवर प्रभुत्व गाजवून असतो. तसेच परमेश्वर विविध यज्ञांचा प्रभू आहे. यामुळे उपासकांनी ध्यान, यज्ञ करताना मोठ्या भक्तिभावनेने त्या ईश्वराला हाक दिली पाहिजे. ।।७।।

    विशेष

    अश्वंन वारवन्तम् यात शिष्टोपमा अलंकार असून सम्राजन्तम् अध्यराणाम् मध्ये लुप्तोपमा आहे.

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    तमिल (1)

    Word Meaning

    யக்ஞங்களின் ராஜாதி ராஜனாய் [1] வாலோடான (குதிரை) போல் உள்ள உன்னை நமஸ்காரங்களால் [2] (வந்தனம்) செய்வோம்

    FootNotes

    [1] வாலோடான - ஆயுதமுடனான
    [2] வந்தனம் செய்கிறோம் - வணங்குகிறோம்.

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