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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 69 के मन्त्र

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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 69/ मन्त्र 1
    ऋषि: - ब्रह्मा देवता - आपः छन्दः - आसुर्यनुष्टुप् सूक्तम् - आपः सूक्त
    49

    जी॒वा स्थ॑ जी॒व्यासं॒ सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    जी॒वाः। स्थ॒। जी॒व्यास॑म्। सर्व॑म्। आयुः॑। जी॒व्या॒स॒म् ॥६९.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    जीवा स्थ जीव्यासं सर्वमायुर्जीव्यासम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    जीवाः। स्थ। जीव्यासम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥६९.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 69; मन्त्र » 1
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    हिन्दी (2)

    विषय

    जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    [हे विद्वानो !] तुम (जीवाः) जीनेवाले (स्थ) हो, (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥१॥

    भावार्थ

    मनुष्यों को विद्वानों के समान जीवनभर स्वतन्त्र पुरुषार्थ करना चाहिये ॥१॥

    टिप्पणी

    १−(जीवाः) जीवनवन्तः (स्थ) भवथ (जीव्यासम्) जीवनवान् भूयासम् (सर्वम्) सम्पूर्णम् (आयुः) जीवनम् (जीव्यासम्) ॥

    Vishay

    Padartha

    Bhavartha

    English (1)

    Subject

    Apah: Dynamic Life

    Meaning

    Live, live well, full of life. I must live fully. I will live fully for the whole of my life, (i.e., live life as a boon, and not as a sufferance).

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