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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 69 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 69/ मन्त्र 1
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - आपः छन्दः - आसुर्यनुष्टुप् सूक्तम् - आपः सूक्त
    137

    जी॒वा स्थ॑ जी॒व्यासं॒ सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    जी॒वाः। स्थ॒। जी॒व्यास॑म्। सर्व॑म्। आयुः॑। जी॒व्या॒स॒म् ॥६९.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    जीवा स्थ जीव्यासं सर्वमायुर्जीव्यासम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    जीवाः। स्थ। जीव्यासम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥६९.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 69; मन्त्र » 1
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।

    पदार्थ

    [हे विद्वानो !] तुम (जीवाः) जीनेवाले (स्थ) हो, (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥१॥

    भावार्थ

    मनुष्यों को विद्वानों के समान जीवनभर स्वतन्त्र पुरुषार्थ करना चाहिये ॥१॥

    टिप्पणी

    १−(जीवाः) जीवनवन्तः (स्थ) भवथ (जीव्यासम्) जीवनवान् भूयासम् (सर्वम्) सम्पूर्णम् (आयुः) जीवनम् (जीव्यासम्) ॥

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    भाषार्थ

    हे आप्तजनो! (जीवाः स्थ) आप वस्तुतः जीवित हैं। (जीव्यासम्) मैं आपके जीवनों जैसा जीऊँ, (सर्वम् आयुः) सम्पूर्ण आयु (जीव्यासम्) मैं आपके जीवनों जैसा जीऊँ॥ १॥

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    विषय

    आपः-आस लोगों का जीवन

    पदार्थ

    १. हे (आप:) = आसविद्वान् जनो! आप (जीवा: स्थ) = जीवनशक्तिसम्पन्न हो। मैं भी (जीव्यासम्) = जीवनशक्तिसम्पन्न बनें। (सर्वम् आयुः जीव्यासम्) = पूर्ण जीवन को जीनेवाला बनूं।

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    विषय

    पूर्णायु प्राप्ति का उपदेश।

    भावार्थ

    हे (आपः) जनो ! और जलों के समान आप्तजनो ! आप (जीवाः स्थ) जीवन अर्थात् प्राण धारण कराने में समर्थ हो। (उपजीवाः स्थ) जीवन को और भी अधिक बढ़ाने में समर्थ हो। मैं (उपजीव्यासम्) और भी अधिक जीवन धारण करूं। आप (सम्-जीवाः स्थ) भली प्रकार जीवनप्रद हो। मैं (सं जीव्यासम्) उत्तम रीति से जीवन धारण करूं। (जीवलाः स्थ) तुम जीवन तत्व को प्राप्त करा देने वाले हो। मैं (जीव्यासम्) जीता रहूं और (सर्वम् आयुः जीव्यासम्) सम्पूर्ण आयु जीवित रहूं।

    टिप्पणी

    ‘म्ह’ सर्वत्र पैप्प० सं०।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ब्रह्मा ऋषिः। आपो देवताः। १ आसुरी अनुष्टुप्। २ साम्नी अनुष्टुप्। ३ आसुरी गायत्री। ४ साम्नी उष्णिक। १-४ एकावसानाः। चतुर्ऋचं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Apah: Dynamic Life

    Meaning

    Live, live well, full of life. I must live fully. I will live fully for the whole of my life, (i.e., live life as a boon, and not as a sufferance).

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    Subject

    To the waters : for long life

    Translation

    You are life-giving, may I live, may I live my full term of life.

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    Translation

    O adepts, you live, I fain would live and may I fain would live my complete term of life.

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    Translation

    Oh! men of noblest character, peaceful like waters, you are capable of leading a long life. May I also live long. May I complete the full span of life. Oh! noble persons, you are capable of increasing your life. May I also do so: (1) May I live for the full span of life (2) Oh! noble souls, you lead a ! good life. (3) May I also do so. May I live for the full span of life. (4) Oh! noble souls, you are able to instill life into others. May I live long. May I complete the full span of life.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १−(जीवाः) जीवनवन्तः (स्थ) भवथ (जीव्यासम्) जीवनवान् भूयासम् (सर्वम्) सम्पूर्णम् (आयुः) जीवनम् (जीव्यासम्) ॥

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