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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 134 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 134/ मन्त्र 2
    ऋषिः - देवता - प्रजापतिः छन्दः - साम्नी पङ्क्तिः सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
    40

    इ॒हेत्थ प्रागपा॒गुद॑ग॒धरा॑ग्व॒त्साः पुरु॑षन्त आसते ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इ॒ह । इत्थ॑ । प्राक् । अपा॒क् । उद॑क् । अ॒ध॒राक् । व॒त्सा: । पुरु॑षन्त । आसते ॥१३४.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इहेत्थ प्रागपागुदगधराग्वत्साः पुरुषन्त आसते ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इह । इत्थ । प्राक् । अपाक् । उदक् । अधराक् । वत्सा: । पुरुषन्त । आसते ॥१३४.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 134; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    बुद्धि बढ़ाने का उपदेश।

    पदार्थ

    (इह) यहाँ (इत्थ) इस प्रकार ............ [म० १]−(वत्साः) प्यारे बच्चे (पुरुषन्तः) पुरुष होते हुए (आसते) ठहरते हैं ॥२॥

    भावार्थ

    सब स्थान और सब काल में मनुष्य पुरुषार्थ करें ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(वत्साः) प्रियशिशवः (पुरुषन्तः) पुरुषा भवन्तः (आसते) तिष्ठन्ति ॥

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    विषय

    पुरुषन्त

    पदार्थ

    १. (इह) = यहाँ (इत्थ) = सचमुच (प्राग् अपाग् उदग् अधराग्) = पूर्व, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण में सर्वत्र.वे प्रभु विद्यमान हैं। २. इस प्रभु के (वत्सा:) = प्रिय पुत्र (पुरुषन्तः) = [पुरुष इव आचरन्तः] एवं पुरुष की भाँति आचरण करते हुए-मानवोचित व्यवहार करते हुए-छल-छिद्र से दूर होते हुए आसते-ठहरते हैं।

    भावार्थ

    प्रभु की सर्वव्यापकता का स्मरण करते हुए हम मानवोचित व्यवहार करें और प्रभु के प्रिय बनें।

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    भाषार्थ

    (इह) इस पृथिवी में (एत्थ) आओ, जन्म लो—(प्राक्, अपाक्, उदक्, अधराक्) चाहे पृथिवी के पूर्व आदि किसी भी प्रदेश में, किसी भी भूभाग में आओ, सर्वत्र (वत्साः) बच्चे (पुरुषन्तः आसते) पुरुष होकर पौरुषकर्म करते हैं। [अर्थात् पृथिवी के प्रत्येक प्रदेश में पौरुषकर्म करनेवाले बच्चे उत्पन्न होते हैं, इन पौरुष कर्मों का सम्बन्ध किसी विशेष भूभाग के साथ नहीं।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Prajapati

    Meaning

    Here thus on earth, east, west, north or south, children try and rise to adulthood and act as men.

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    Translation

    Here, thus in west and in south the children Promising to be men are standing together.

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    Translation

    Here, thus in west and in south the children promising to be men are standing together.

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    Translation

    In this world, ....below the worlds, serving as abode for the souls, stay in the Omnipresent God, like drops of clarified butter in water.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(वत्साः) प्रियशिशवः (पुरुषन्तः) पुरुषा भवन्तः (आसते) तिष्ठन्ति ॥

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