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अथर्ववेद के काण्ड - 6 के सूक्त 131 के मन्त्र

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  • अथर्ववेद - काण्ड 6/ सूक्त 131/ मन्त्र 1
    ऋषि: - अथर्वा देवता - स्मरः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - स्मर सूक्त
    52

    नि शी॑र्ष॒तो नि प॑त्त॒त आ॒ध्यो॒ नि ति॑रामि ते। देवाः॒ प्र हि॑णुत स्म॒रम॒सौ मामनु॑ शोचतु ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ‍नि । शी॒र्ष॒त: । नि ।प॒त्त॒त: । आ॒ऽध्य᳡: । नि । ति॒रा॒मि॒। ते॒ । देवा॑: । प्र । हि॒णु॒त॒ । स्म॒रम् । अ॒सौ । माम् । अनु॑ । शो॒च॒तु॒ ॥१३१.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नि शीर्षतो नि पत्तत आध्यो नि तिरामि ते। देवाः प्र हिणुत स्मरमसौ मामनु शोचतु ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ‍नि । शीर्षत: । नि ।पत्तत: । आऽध्य: । नि । तिरामि। ते । देवा: । प्र । हिणुत । स्मरम् । असौ । माम् । अनु । शोचतु ॥१३१.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 6; सूक्त » 131; मन्त्र » 1
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    हिन्दी (2)

    विषय

    परस्पर पालन का उपदेश।

    पदार्थ

    [हे मनुष्य !] (ते) तेरे लिये (शीर्षतः) अपने मस्तक [सामर्थ्य] से (नि) निश्चय करके, (पत्ततः) अपने पद [के सामर्थ्य] से (नि) नियम करके (आध्यः) यथावत् ध्यान धर्मों को (नि) लगातार (तिरामि) मैं पार करूँ। (देवाः) हे विद्वानों ! (स्मरम्) स्मरण सामर्थ्य को (प्र) अच्छे प्रकार (हिणुत) बढ़ाओ, (असौ) वह [स्मरण सामर्थ्य] (माम् अनु) मुझ में व्यापकर (शोचतु) शुद्ध रहे ॥१॥

    भावार्थ

    मनुष्य विद्वानों के सत्सङ्ग द्वारा पूर्ण पुरुषार्थ से स्मरण शक्ति बढ़ाकर सुखी होवे ॥१॥

    टिप्पणी

    १−(नि) निश्चयेन (शीर्षतः) शिरःसामर्थ्यात् (नि) नियमेन (पत्ततः) एकस्तकारश्छान्दसः। पत्तः। पादसामर्थ्यात् (आध्यः) आध्यायते आधीः। ध्यायतेः क्विप् सम्प्रसारणं च। वा० पा० ३।२।१७८। आङ्+ध्यै चिन्तायाम्−क्विप्, शसि रूपम्। सम्यग्ध्यानधर्मान् (नि) निरन्तरम् (तिरामि) मुदादित्वादिकारः। पारं गमयामि। समापयामि। अन्यत् पूर्ववत्−सू० १३० म० १ ॥

    Vishay

    Padartha

    Bhavartha

    English (1)

    Subject

    Divine Love and Memory

    Meaning

    O Smara, divine love and cosmic memory, with the very basis of my foundations upto the highest intelligence, I explore and float over thoughts and reflections of divine love and memory. O divinities of nature and sages of humanity, pray invoke and arouse this knowledge and love and may that divine mind enlighten and sanctify me.

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