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यजुर्वेद अध्याय - 39

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  • यजुर्वेद - अध्याय 39/ मन्त्र 11
    ऋषिः - दीर्घतमा ऋषिः देवता - अग्निर्देवता छन्दः - स्वराड् जगती स्वरः - निषादः
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    आ॒या॒साय॒ स्वाहा॑ प्राया॒साय॒ स्वाहा॑ संया॒साय॒ स्वाहा॑ विया॒साय॒ स्वाहो॑द्या॒साय॒ स्वाहा॑। शु॒चे स्वाहा॒ शोच॑ते॒ स्वाहा॑ शोच॑मानाय॒ स्वाहा॒ शोका॑य॒ स्वाहा॑॥११॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ॒या॒सायेत्या॑ऽया॒साय॑। स्वाहा॑। प्रा॒या॒साय॑। प्र॒या॒सायेति॑ प्रऽया॒साय॑। स्वाहा॑। सं॒या॒सायेति॑ सम्ऽया॒साय॑। स्वाहा॑। वि॒या॒सायेति॑ विऽया॒साय॑। स्वाहा॑। उद्या॒सायेत्यु॑त्ऽया॒साय॑। स्वाहा॑ ॥ शु॒चे। स्वाहा॑। शोच॑ते। स्वाहा॑। शोच॑मानाय। स्वाहा॑। शोका॑य। स्वाहा॑ ॥११ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आयासाय स्वाहा प्रायासाय स्वाहा सँयासाय स्वाहा वियासाय स्वाहोद्यासाय स्वाहा । शुचे स्वाहा शोचते स्वाहा शोचमानाय स्वाहा शोकाय स्वाहा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आयासायेत्याऽयासाय। स्वाहा। प्रायासाय। प्रयासायेति प्रऽयासाय। स्वाहा। संयासायेति सम्ऽयासाय। स्वाहा। वियासायेति विऽयासाय। स्वाहा। उद्यासायेत्युत्ऽयासाय। स्वाहा॥ शुचे। स्वाहा। शोचते। स्वाहा। शोचमानाय। स्वाहा। शोकाय। स्वाहा॥११॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 39; मन्त्र » 11
    Acknowledgment

    Translation -
    Dedication to exertion; (1) dedication to efforts; (2) dedication to all-round endeavours; (3) dedication to special effort; (4) dedication to attempt to improve. (5) dedication to grief; (6) dedication to the grieving. (7) dedication to the grieved; (8) dedication to sorrow. (9)

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