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अथर्ववेद > काण्ड 1 > सूक्त 11

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  • अथर्ववेद - काण्ड 1/ सूक्त 11/ मन्त्र 6
    सूक्त - अथर्वा देवता - पूषादयो मन्त्रोक्ताः छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः सूक्तम् - नारीसुखप्रसूति सूक्त

    यथा॒ वातो॒ यथा॒ मनो॒ यथा॒ पत॑न्ति प॒क्षिणः॑। ए॒वा त्वं द॑शमास्य सा॒कं ज॒रायु॑णा प॒ताव॑ ज॒रायु॑ पद्यताम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यथा॒ वातो॒ यथा॒ मनो॒ यथा॒ पत॑न्ति प॒क्षिणः॑ । ए॒वा त्वं द॑शमास्य सा॒कं ज॒रायु॑णा प॒ताव॑ ज॒रायु॑ पद्यताम् ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यथा वातो यथा मनो यथा पतन्ति पक्षिणः। एवा त्वं दशमास्य साकं जरायुणा पताव जरायु पद्यताम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यथा वातो यथा मनो यथा पतन्ति पक्षिणः । एवा त्वं दशमास्य साकं जरायुणा पताव जरायु पद्यताम् ॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 1; सूक्त » 11; मन्त्र » 6

    Translation -
    This ten month old embryo comes out of womb with secun-dines just like the wind, mind and birds move and the secundines fall out. [NB. Here in the last verse it has been distinctly mentioned that the emvryo and Secundines naturally come out of womb. They cannot remain in womb for over or for more than ten months.]

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