अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 43/ मन्त्र 6
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - मन्त्रोक्ताः, ब्रह्म
छन्दः - त्र्यवसाना शङ्कुमती पथ्यापङ्क्तिः
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
यत्र॑ ब्रह्म॒विदो॑ यान्ति दी॒क्षया॒ तप॑सा स॒ह। इन्द्रो॑ मा॒ तत्र॑ नयतु॒ बल॒मिन्द्रो॑ दधातु मे। इन्द्रा॑य॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठयत्र॑। ब्र॒ह्म॒ऽविदः॑। यान्ति॑। दी॒क्षया॑। तप॑सा। स॒ह। इन्द्रः॑। मा॒। तत्र॑। न॒य॒तु॒। बल॑म्। इन्द्रः॑। द॒धा॒तु॒। मे॒। इन्द्रा॑य। स्वाहा॑ ॥४३.६॥
स्वर रहित मन्त्र
यत्र ब्रह्मविदो यान्ति दीक्षया तपसा सह। इन्द्रो मा तत्र नयतु बलमिन्द्रो दधातु मे। इन्द्राय स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठयत्र। ब्रह्मऽविदः। यान्ति। दीक्षया। तपसा। सह। इन्द्रः। मा। तत्र। नयतु। बलम्। इन्द्रः। दधातु। मे। इन्द्राय। स्वाहा ॥४३.६॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 43; मन्त्र » 6
Translation -
Let Soma, the group of herbs....vital sape and...vow occupy. I …. Soma.