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अथर्ववेद के काण्ड - 19 के सूक्त 43 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 43/ मन्त्र 6
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - मन्त्रोक्ताः, ब्रह्म छन्दः - त्र्यवसाना शङ्कुमती पथ्यापङ्क्तिः सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
    17

    यत्र॑ ब्रह्म॒विदो॑ यान्ति दी॒क्षया॒ तप॑सा स॒ह। इन्द्रो॑ मा॒ तत्र॑ नयतु॒ बल॒मिन्द्रो॑ दधातु मे। इन्द्रा॑य॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यत्र॑। ब्र॒ह्म॒ऽविदः॑। यान्ति॑। दी॒क्षया॑। तप॑सा। स॒ह। इन्द्रः॑। मा॒। तत्र॑। न॒य॒तु॒। बल॑म्। इन्द्रः॑। द॒धा॒तु॒। मे॒। इन्द्रा॑य। स्वाहा॑ ॥४३.६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यत्र ब्रह्मविदो यान्ति दीक्षया तपसा सह। इन्द्रो मा तत्र नयतु बलमिन्द्रो दधातु मे। इन्द्राय स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यत्र। ब्रह्मऽविदः। यान्ति। दीक्षया। तपसा। सह। इन्द्रः। मा। तत्र। नयतु। बलम्। इन्द्रः। दधातु। मे। इन्द्राय। स्वाहा ॥४३.६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 43; मन्त्र » 6
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    हिन्दी (1)

    विषय

    ब्रह्म की प्राप्ति का उपदेश।

    पदार्थ

    (यत्न) जिस [सुख] में (ब्रह्मविदः) ब्रह्मज्ञानी....... [मन्त्र १]। (इन्द्रः) इन्द्र [परम ऐश्वर्यवान् परमात्मा] (मा) मुझे (तत्र) वहाँ (नयतु) पहुँचावे, (इन्द्रः) इन्द्र [परमात्मा] (मे) मुझको (बलम्) बल (दधातु) देवे। (इन्द्राय) इन्द्र [परमात्मा] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] होवे ॥६॥

    भावार्थ

    मन्त्र १ के समान है ॥६॥

    टिप्पणी

    ६−(इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् परमात्मा (बलम्) सामर्थ्यम् (इन्द्रः) (इन्द्राय) परमैश्वरवते परमेश्वराय। अन्यत् पूर्ववत् ॥

    इंग्लिश (1)

    Subject

    Brahma Supreme

    Meaning

    Where men dedicated to Brahma go, with Diksha and Tapas, initiation, commitment and austere discipline, there may Indra, lord omnipotent, lead me. May Indra bless me with unshakable strength for life. Homage to Indra, lord of bliss, in truth of word and deed.

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ६−(इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् परमात्मा (बलम्) सामर्थ्यम् (इन्द्रः) (इन्द्राय) परमैश्वरवते परमेश्वराय। अन्यत् पूर्ववत् ॥

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