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अथर्ववेद > काण्ड 2 > सूक्त 17

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  • अथर्ववेद - काण्ड 2/ सूक्त 17/ मन्त्र 5
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - प्राणः, अपानः, आयुः छन्दः - एदपदासुरीत्रिष्टुप् सूक्तम् - बल प्राप्ति सूक्त

    श्रोत्र॑मसि॒ श्रोत्रं॑ मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    श्रोत्र॑म् । अ॒सि॒ । श्रोत्र॑म् । मे॒ । दा॒: । स्वाहा॑ ॥१७.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    श्रोत्रमसि श्रोत्रं मे दाः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    श्रोत्रम् । असि । श्रोत्रम् । मे । दा: । स्वाहा ॥१७.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 2; सूक्त » 17; मन्त्र » 5
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