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अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 69/ मन्त्र 4
जी॑व॒ला स्थ॑ जी॒व्यासं॒ सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥
स्वर सहित पद पाठजी॒व॒लाः। स्थ॒। जी॒व्यास॑म्। सर्व॑म्। आयुः॑। जी॒व्या॒स॒म् ॥६९.४॥
स्वर रहित मन्त्र
जीवला स्थ जीव्यासं सर्वमायुर्जीव्यासम् ॥
स्वर रहित पद पाठजीवलाः। स्थ। जीव्यासम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥६९.४॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 69; मन्त्र » 4
भाषार्थ -
आप (जीवलाः) जीवनदाता (स्थ) हैं। (जीव्यासम्) मैं आपके द्वारा जीवन ग्रहण कर जीऊँ। (सर्वम् आयुः) सम्पूर्ण आयु इस प्रकार (जीव्यासम्) जीऊँ।
टिप्पणी -
[सूक्त का देवता “आपः” कहा है। “आपः” द्वारा जलसदृश शान्त, तथा जीवनोपदेशों द्वारा जीवन प्रदान करनेवाले “आप्तजन” अभिप्रेत हैं। जीवलाः=जीव (जीवन)+ला (दानेऽपि)।]