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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 72

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 72/ मन्त्र 2
    सूक्त - परुच्छेपः देवता - इन्द्रः छन्दः - अत्यष्टिः सूक्तम् - सूक्त-७२

    वि त्वा॑ ततस्रे मिथु॒ना अ॑व॒स्यवो॑ व्र॒जस्य॑ सा॒ता गव्य॑स्य निः॒सृजः॒ सक्ष॑न्त इन्द्र निः॒सृजः॑। यद्ग॒व्यन्ता॒ द्वा जना॒ स्वर्यन्ता॑ स॒मूह॑सि। आ॒विष्करि॑क्र॒द्वृष॑णं सचा॒भुवं॒ वज्र॑मिन्द्र सचा॒भुव॑म् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वि । त्वा॒ । त॒त॒स्रे॒ । मि॒थु॒ना: । अ॒व॒स्यव॑: । व्र॒जस्य॑ । सा॒ता । गव्य॑स्य । नि॒:ऽसृज॑: । सक्ष॑न्त । इ॒न्द्र॒ । नि॒:ऽसृज॑ ॥ यत् । ग॒व्यन्ता॑ । द्वा । जना॑ । स्व॑: । यन्ता॑ । स॒म्ऽऊह॑सि ॥ आ॒वि: । करि॑क्रत् । वृष॑णम् । स॒चा॒ऽभुव॑म् । वज्र॑म् । इ॒न्द्र॒ । स॒चा॒ऽभुव॑म् ॥७२.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वि त्वा ततस्रे मिथुना अवस्यवो व्रजस्य साता गव्यस्य निःसृजः सक्षन्त इन्द्र निःसृजः। यद्गव्यन्ता द्वा जना स्वर्यन्ता समूहसि। आविष्करिक्रद्वृषणं सचाभुवं वज्रमिन्द्र सचाभुवम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    वि । त्वा । ततस्रे । मिथुना: । अवस्यव: । व्रजस्य । साता । गव्यस्य । नि:ऽसृज: । सक्षन्त । इन्द्र । नि:ऽसृज ॥ यत् । गव्यन्ता । द्वा । जना । स्व: । यन्ता । सम्ऽऊहसि ॥ आवि: । करिक्रत् । वृषणम् । सचाऽभुवम् । वज्रम् । इन्द्र । सचाऽभुवम् ॥७२.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 72; मन्त्र » 2

    भाषार्थ -
    (इन्द्र) हे परमेश्वर! (अवस्यवः) रक्षा या आप की प्राप्ति चाहनेवाले, तथा (निःसृजः) निसर्गतः अर्थात् स्वभावतः प्राप्त, (निःसृजः) और सब को उत्पत्तिकाल में ही स्वभावः प्राप्त (गव्यस्य) इन्द्रियसम्बन्धी (व्रजस्य) चञ्चलता के (साता=सातौ) विनाश के निमित्त (सक्षन्तः) आप का सेवन तथा आप का सम्बन्ध चाहनेवाले, या आप की ओर प्रगति करनेवाले (मिथुना) गृहस्थजन, (त्वा) आप को (वि ततस्रे) स्तुतियों द्वारा विषेषतया अलंकृत करते हैं। और जब (गव्यन्ता) ऐन्द्रियिक चञ्चलताओं से सम्पन्न (द्वा जना) दोनों पति-पत्नी जन, (स्वः यन्ता) सुख की प्राप्ति चाहते हैं, तब आप उन दोनों का (समूहसि) संहार कर देते हैं। और (इन्द्र) हे परमेश्वर! (वृषणम्) आप के प्रति भक्तिरस की वर्षा करनेवाले, (वज्रम्) वज्ररूप होकर अपने पापों का संहार करनेवाले, तथा (सचाभुवम्) आप के साथ संग करनेवाले, (सचाभुवम्) सदा आप के साथ संग करनेवाले उपासक को, आप (आविष्करिक्रद्) आविष्कृत अर्थात् सुप्रसिद्ध कर देते हैं।

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