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अथर्ववेद > काण्ड 9 > सूक्त 6 > पर्यायः 4

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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 6/ मन्त्र 9
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अतिथिः, विद्या छन्दः - भुरिगनुष्टुप् सूक्तम् - अतिथि सत्कार

    स य ए॒वं वि॒द्वानु॑द॒कमु॑प॒सिच्यो॑प॒हर॑ति।

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । य: । ए॒वम् । वि॒द्वान् । उ॒द॒कम् । उ॒प॒ऽसिच्य॑ । उ॒प॒ऽहर॑ति ॥९.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स य एवं विद्वानुदकमुपसिच्योपहरति।

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । य: । एवम् । विद्वान् । उदकम् । उपऽसिच्य । उपऽहरति ॥९.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 6; पर्यायः » 4; मन्त्र » 9

    Translation -
    The man, who having this knowledge of honoring a guest, takes water in a basin and offers it to the learned guest, obtains a support for the procreation of progeny, and becomes dear to the progeny, even the man who having this knowledge of honoring a guest takes water in a basin and offers it to the guest.

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