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ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 172/ मन्त्र 2
आ या॑हि॒ वस्व्या॑ धि॒या मंहि॑ष्ठो जार॒यन्म॑खः सु॒दानु॑भिः ॥
स्वर सहित पद पाठआ । या॒हि॒ । वस्व्या॑ । धि॒या । मंहि॑ष्ठः । जा॒र॒यत्ऽम॑खः । सु॒दानु॑ऽभिः ॥
स्वर रहित मन्त्र
आ याहि वस्व्या धिया मंहिष्ठो जारयन्मखः सुदानुभिः ॥
स्वर रहित पद पाठआ । याहि । वस्व्या । धिया । मंहिष्ठः । जारयत्ऽमखः । सुदानुऽभिः ॥ १०.१७२.२
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 172; मन्त्र » 2
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 30; मन्त्र » 2
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 30; मन्त्र » 2
Meaning -
Come with blessed intelligence and holy action. The most generous yajamana is on way to completion of the yajna with most liberal gifts of homage.