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  • यजुर्वेद - अध्याय 12/ मन्त्र 99
    ऋषिः - वरुण ऋषिः देवता - ओषधिर्देवता छन्दः - विराडनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
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    सह॑स्व मे॒ऽअरा॑तीः॒ सह॑स्व पृतनाय॒तः। सह॑स्व॒ सर्वं॑ पा॒प्मान॒ꣳ सह॑मानास्योषधे॥९९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सह॑स्व। मे॒। अरा॑तीः। सह॑स्व। पृ॒त॒ना॒य॒त इति॑ पृतनाऽय॒तः। सह॑स्व। सर्व॑म्। पा॒प्मान॑म्। सह॑माना। अ॒सि॒। ओ॒ष॒धे॒ ॥९९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सहस्व मे अरातीः सहस्व पृतनायतः । सहस्व सर्वम्पाप्मानँ सहमानास्योषधे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    सहस्व। मे। अरातीः। सहस्व। पृतनायत इति पृतनाऽयतः। सहस्व। सर्वम्। पाप्मानम्। सहमाना। असि। ओषधे॥९९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 12; मन्त्र » 99
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    Meaning -
    O medically trained wife! just as medicine is the source of strength for me, removes my ailments and gives me power, so shouldst thou conquer my enemies, subdue the men who challenge me. Conquer thou every kind of disease.

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