Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 16/ मन्त्र 12
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - रुद्रो देवता छन्दः - निचृदार्ष्यनुस्टुप् स्वरः - गान्धारः
    4

    परि॑ ते॒ धन्व॑नो हे॒तिर॒स्मान् वृ॑णक्तु वि॒श्वतः॑। अथो॒ यऽइ॑षु॒धिस्तवा॒रेऽअ॒स्मन्निधे॑हि॒ तम्॥१२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    परि॑। ते॒। धन्व॑नः। हे॒तिः। अ॒स्मान्। वृ॒ण॒क्तु॒। वि॒श्वतः॑। अथो॒ऽइत्यथो॑। यः। इ॒षु॒धिरिती॑षु॒ऽधिः। तव॑। आ॒रे। अ॒स्मत्। नि। धे॒हि॒। तम् ॥१२ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    परि ते धन्वनो हेतिरस्मान्वृणक्तु विश्वतः । अथो यऽइषुधिस्तवारे अस्मन्निधेहि तम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    परि। ते। धन्वनः। हेतिः। अस्मान्। वृणक्तु। विश्वतः। अथोऽइत्यथो। यः। इषुधिरितीषुऽधिः। तव। आरे। अस्मत्। नि। धेहि। तम्॥१२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 16; मन्त्र » 12
    Acknowledgment
    Top