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  • यजुर्वेद - अध्याय 16/ मन्त्र 16
    ऋषिः - कुत्स ऋषिः देवता - रुद्रो देवता छन्दः - निचृदार्षी जगती स्वरः - निषादः
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    मा न॑स्तो॒के तन॑ये॒ मा न॒ऽआयु॑षि॒ मा नो॒ गोषु॒ मा नो॒ऽअश्वे॑षु रीरिषः। मा नो॑ वी॒रान् रु॑द्र भा॒मिनो॑ वधीर्ह॒विष्म॑न्तः॒ सद॒मित् त्वा॑ हवामहे॥१६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    मा। नः॒। तो॒के। तन॑ये। मा। नः॒। आयु॑षि। मा। नः॒। गोषु॑। मा। नः॒। अश्वे॑षु। री॒रिष॒ इति॑ रीरिषः। मा। नः॒। वी॒रान्। रु॒द्र॒। भा॒मिनः॑। व॒धीः॒। ह॒विष्म॑न्तः। सद॑म्। इत्। त्वा॒। ह॒वा॒म॒हे॒ ॥१६ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    मा नस्तोके तनये मा नऽआयुषि मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिषः । मा नो वीरान्रुद्र भामिनो वधीर्हविष्मन्तः सदमित्त्वा हवामहे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    मा। नः। तोके। तनये। मा। नः। आयुषि। मा। नः। गोषु। मा। नः। अश्वेषु। रीरिष इति रीरिषः। मा। नः। वीरान्। रुद्र। भामिनः। वधीः। हविष्मन्तः। सदम्। इत्। त्वा। हवामहे॥१६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 16; मन्त्र » 16
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    Meaning -
    O commander of the army, harm not our newly born child, nor him over five years in age. Make no attack on our life, our cows, sheep and goats and harm not our horses, elephants and camels. Kill not our heroes full of wrath. We with oblations ever call on thee, firm in justice.

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