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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 1107
ऋषिः - बन्धुः सुबन्धुः श्रुतबन्धुर्विप्रबन्धुश्च क्रमेण गौपायना लौपायना वा
देवता - अग्निः
छन्दः - द्विपदा विराट्
स्वरः - पञ्चमः
काण्ड नाम -
2
अ꣢ग्ने꣣ त्वं꣢ नो꣣ अ꣡न्त꣢म उ꣣त꣢ त्रा꣣ता꣢ शि꣣वो꣡ भु꣢वो वरू꣣꣬थ्यः꣢꣯ ॥११०७॥
स्वर सहित पद पाठअ꣡ग्ने꣢꣯ । त्वम् । नः꣣ । अ꣡न्त꣢꣯मः । उ꣣त꣢ । त्रा꣣ता꣢ । शि꣡वः꣢ । भु꣣वः । वरू꣢थ्यः ॥११०७॥
स्वर रहित मन्त्र
अग्ने त्वं नो अन्तम उत त्राता शिवो भुवो वरूथ्यः ॥११०७॥
स्वर रहित पद पाठ
अग्ने । त्वम् । नः । अन्तमः । उत । त्राता । शिवः । भुवः । वरूथ्यः ॥११०७॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 1107
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 22; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 7; खण्ड » 7; सूक्त » 1; मन्त्र » 1
Acknowledgment
(कौथुम) उत्तरार्चिकः » प्रपाठक » 4; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » ; सूक्त » 22; मन्त्र » 1
(राणानीय) उत्तरार्चिकः » अध्याय » 7; खण्ड » 7; सूक्त » 1; मन्त्र » 1
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Meaning -
Agni, lord of light, fire of life, you are our closest friend and saviour. Be good and gracious, the very spirit and security of the home for the inmates. (Rg. 5-24-1)