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अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 69/ मन्त्र 3
सं॑जी॒वा स्थ॒ सं जी॑व्यासं॒ सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥
स्वर सहित पद पाठस॒म्ऽजी॒वाः। स्थ॒। सम्। जी॒व्या॒स॒म्। सर्व॑म्। आयुः॑। जी॒व्या॒स॒म् ॥६९.३॥
स्वर रहित मन्त्र
संजीवा स्थ सं जीव्यासं सर्वमायुर्जीव्यासम् ॥
स्वर रहित पद पाठसम्ऽजीवाः। स्थ। सम्। जीव्यासम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥६९.३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 69; मन्त्र » 3
विषय - जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।
पदार्थ -
[हे विद्वानो !] तुम (संजीवाः) मिलकर जीनेवाले (स्थ) हो, (संजीव्यासम्) मैं मिलकर जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥३॥
भावार्थ - मनुष्यों को परस्पर सहाय से अपना जीवन भोगना चाहिये ॥३॥
टिप्पणी -
३−(संजीवाः) संयोगेन जीवन्तः (सं जीव्यासम्) संयोगेन प्राणान् धारयेयम् ॥