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अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 69/ मन्त्र 1
जी॒वा स्थ॑ जी॒व्यासं॒ सर्व॒मायु॑र्जीव्यासम् ॥
स्वर सहित पद पाठजी॒वाः। स्थ॒। जी॒व्यास॑म्। सर्व॑म्। आयुः॑। जी॒व्या॒स॒म् ॥६९.१॥
स्वर रहित मन्त्र
जीवा स्थ जीव्यासं सर्वमायुर्जीव्यासम् ॥
स्वर रहित पद पाठजीवाः। स्थ। जीव्यासम्। सर्वम्। आयुः। जीव्यासम् ॥६९.१॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 69; मन्त्र » 1
विषय - जीवन बढ़ाने के लिये उपदेश।
पदार्थ -
[हे विद्वानो !] तुम (जीवाः) जीनेवाले (स्थ) हो, (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ, (सर्वम्) सम्पूर्ण (आयुः) आयु (जीव्यासम्) मैं जीता रहूँ ॥१॥
भावार्थ - मनुष्यों को विद्वानों के समान जीवनभर स्वतन्त्र पुरुषार्थ करना चाहिये ॥१॥
टिप्पणी -
१−(जीवाः) जीवनवन्तः (स्थ) भवथ (जीव्यासम्) जीवनवान् भूयासम् (सर्वम्) सम्पूर्णम् (आयुः) जीवनम् (जीव्यासम्) ॥