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अथर्ववेद > काण्ड 5 > सूक्त 9

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  • अथर्ववेद - काण्ड 5/ सूक्त 9/ मन्त्र 5
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - वास्तोष्पतिः छन्दः - दैवी बृहती सूक्तम् - आत्मा सूक्त

    दि॒वे स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    दि॒वे । स्वाहा॑॥९.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    दिवे स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    दिवे । स्वाहा॥९.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 9; मन्त्र » 5

    पदार्थ -
    (दिवे) व्यवहार के लिये (स्वाहा) प्रार्थना है ॥५॥

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