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अथर्ववेद > काण्ड 9 > सूक्त 6 > पर्यायः 4

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  • अथर्ववेद - काण्ड 9/ सूक्त 6/ मन्त्र 5
    सूक्त - ब्रह्मा देवता - अतिथिः, विद्या छन्दः - प्राजापत्यानुष्टुप् सूक्तम् - अतिथि सत्कार

    स य ए॒वं वि॒द्वान्मधू॑प॒सिच्यो॑प॒हर॑ति।

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । य: । ए॒वम् । वि॒द्वान् । मधु॑ । उ॒प॒ऽसिच्य॑ । उ॒प॒ऽहर॑ति ॥९.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    स य एवं विद्वान्मधूपसिच्योपहरति।

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । य: । एवम् । विद्वान् । मधु । उपऽसिच्य । उपऽहरति ॥९.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 6; पर्यायः » 4; मन्त्र » 5

    पदार्थ -
    (यः) जो [गृहस्थ] (एवम्) ऐसा (विद्वान्) विद्वान् है, (सः) वह (मधु) मधु [मक्षिका रस] (उपसिच्य) सिद्ध करके (उपहरति) भेंट करता है। (यावत्) जितना [फल] (सुसमृद्धेन) बड़ी सम्पत्तिवाले (सत्त्रसद्येन) सत्र सद्य से [सोमयाग विशेष से] (इष्ट्वा) यज्ञ करके.... म० १, २ ॥५, ६॥

    भावार्थ - ऊपर के समान है-म० १, २ ॥५, ६॥

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