अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 10/ मन्त्र 3
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - त्रिष्टुप्
सूक्तम् - शान्ति सूक्त
शं नो॑ धा॒ता शमु॑ ध॒र्ता नो॑ अस्तु॒ शं न॑ उरू॒ची भ॑वतु स्व॒धाभिः॑। शं रोद॑सी बृह॒ती शं नो॒ अद्रिः॒ शं नो॑ दे॒वानां॑ सु॒हवा॑नि सन्तु ॥
स्वर सहित पद पाठशम्। नः॒। धा॒ता। शम्। ऊं॒ इति॑। ध॒र्ता। नः॒। अ॒स्तु॒। शम्। नः॒। उ॒रू॒ची। भ॒व॒तु॒। स्व॒धाभिः॑। शम्। रोद॑सी॒ इति॑। बृ॒ह॒ती॒ इति॑। शम्। नः॒। अद्रिः॑। शम्। नः॒। दे॒वाना॑म्। सु॒ऽहवा॑नि। स॒न्तु॒ ॥१०.३॥
स्वर रहित मन्त्र
शं नो धाता शमु धर्ता नो अस्तु शं न उरूची भवतु स्वधाभिः। शं रोदसी बृहती शं नो अद्रिः शं नो देवानां सुहवानि सन्तु ॥
स्वर रहित पद पाठशम्। नः। धाता। शम्। ऊं इति। धर्ता। नः। अस्तु। शम्। नः। उरूची। भवतु। स्वधाभिः। शम्। रोदसी इति। बृहती इति। शम्। नः। अद्रिः। शम्। नः। देवानाम्। सुऽहवानि। सन्तु ॥१०.३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 10; मन्त्र » 3
Subject - Shanti
Meaning -
May Dhata, cosmic sustainer, bring us peace. May Dharta, sustainer of stars and planets, bring us peace. May the vast mother earth and nature with all her powers and forces bring us peace. May the cloud and the mountain bring us peace. And may our invocations, oblations in yajna and the divine responses bring us peace and well-being.