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अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 31

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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 31/ मन्त्र 7
    सूक्त - सविता देवता - औदुम्बरमणिः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - औदुम्बरमणि सूक्त

    उप॒ मौदु॑म्बरो म॒णिः प्र॒जया॑ च॒ धने॑न च। इन्द्रे॑ण जिन्वि॒तो म॒णिरा मा॑गन्त्स॒ह वर्च॑सा ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उप॑। मा॒। औदु॑म्बरः। म॒णिः। प्र॒ऽजया॑। च॒। धने॑न। च॒। इन्द्रे॑ण। जि॒न्वि॒तः। म॒णिः। आ। मा॒। अ॒ग॒न्‌। स॒ह। वर्च॑सा ॥३१.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उप मौदुम्बरो मणिः प्रजया च धनेन च। इन्द्रेण जिन्वितो मणिरा मागन्त्सह वर्चसा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उप। मा। औदुम्बरः। मणिः। प्रऽजया। च। धनेन। च। इन्द्रेण। जिन्वितः। मणिः। आ। मा। अगन्‌। सह। वर्चसा ॥३१.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 31; मन्त्र » 7

    Meaning -
    Audumbara mani, with people and with wealth, indeed the jewel gift inspired and energised by Indra, mighty world ruler, has come to me with honour and grandeur.

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