Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 2 > सूक्त 18

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 2/ सूक्त 18/ मन्त्र 5
    सूक्त - चातनः देवता - अग्निः छन्दः - द्विपदा साम्नीबृहती सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त

    स॑दान्वा॒क्षय॑णमसि सदान्वा॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स॒दा॒न्वा॒ऽक्षय॑णम् । अ॒सि॒ । स॒दा॒न्वा॒ऽचात॑नम् । मे॒ । दा॒: । स्वाहा॑ ॥१८.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सदान्वाक्षयणमसि सदान्वाचातनं मे दाः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सदान्वाऽक्षयणम् । असि । सदान्वाऽचातनम् । मे । दा: । स्वाहा ॥१८.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 2; सूक्त » 18; मन्त्र » 5

    Meaning -
    You are the power that destroys the mean and the negatives. Give me the power to destroy meanness, want and negativity. This is the voice of truth in faith with surrender.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top