अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 18/ मन्त्र 5
सूक्त - चातनः
देवता - अग्निः
छन्दः - द्विपदा साम्नीबृहती
सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त
38
स॑दान्वा॒क्षय॑णमसि सदान्वा॒चात॑नं मे दाः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठस॒दा॒न्वा॒ऽक्षय॑णम् । अ॒सि॒ । स॒दा॒न्वा॒ऽचात॑नम् । मे॒ । दा॒: । स्वाहा॑ ॥१८.५॥
स्वर रहित मन्त्र
सदान्वाक्षयणमसि सदान्वाचातनं मे दाः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठसदान्वाऽक्षयणम् । असि । सदान्वाऽचातनम् । मे । दा: । स्वाहा ॥१८.५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (1)
विषय
शत्रुओं से रक्षा करनी चाहिये–इसका उपदेश।
पदार्थ
[हे ईश्वर !] तू (सदान्वाक्षयणम्) सदा चिल्लानेवाली वा दानवों के साथ रहनेवाली (निर्धनता वा दुर्भिक्षता) की नाशशक्ति (असि) है, (मे) मुझे (सदान्वाचातनम्) सदा चिल्लानेवाली वा दानवों के साथ रहनेवाली [निर्धनता वा दुर्भिक्षता] के मिटाने का बल (दाः) दे, (स्वाहा) यही सुन्दर आशीर्वाद हो ॥५॥
भावार्थ
निर्धनता और दुर्भिक्षता [अकाल] आदि विपत्तियों के मारे सब प्राणी महादुःखी होकर आर्तध्वनि करते और चोर आदि उन्हें सताते हैं। परमेश्वर की दयालुता और पूर्णता पर ध्यान करके मनुष्य प्रयत्नपूर्वक प्रभूत धन और अन्न का संचय करके आनन्द से रहें ॥५॥
टिप्पणी
५–सदान्वाक्षयणम्। अ० २।१४।१। सदानोनुवानां सर्वदा शब्दकारिकानां वा दानवै राक्षसैः सह वर्त्तमानानां दरिद्रतादिविपत्तीनां नाशनम् ॥
इंग्लिश (1)
Subject
Prayer for Self-Protection
Meaning
You are the power that destroys the mean and the negatives. Give me the power to destroy meanness, want and negativity. This is the voice of truth in faith with surrender.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
५–सदान्वाक्षयणम्। अ० २।१४।१। सदानोनुवानां सर्वदा शब्दकारिकानां वा दानवै राक्षसैः सह वर्त्तमानानां दरिद्रतादिविपत्तीनां नाशनम् ॥
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