अथर्ववेद - काण्ड 5/ सूक्त 9/ मन्त्र 6
सूक्त - ब्रह्मा
देवता - वास्तोष्पतिः
छन्दः - दैवी त्रिष्टुप्
सूक्तम् - आत्मा सूक्त
पृ॒थि॒व्यै स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठपृ॒थि॒व्यै । स्वाहा॑ ॥९.६॥
स्वर रहित मन्त्र
पृथिव्यै स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठपृथिव्यै । स्वाहा ॥९.६॥
अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 9; मन्त्र » 6
Subject - Well Being of Body and Soul
Meaning -
Homage to the earth for health and patience in truth of thought, word and deed in faith.