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सामवेद के मन्त्र
सामवेद - मन्त्रसंख्या 119
ऋषिः - श्रुतकक्षः आङ्गिरसः
देवता - इन्द्रः
छन्दः - गायत्री
स्वरः - षड्जः
काण्ड नाम - ऐन्द्रं काण्डम्
1
त꣡मिन्द्रं꣢꣯ वाजयामसि म꣣हे꣢ वृ꣣त्रा꣢य꣣ ह꣡न्त꣢वे । स꣡ वृषा꣢꣯ वृष꣣भो꣡ भु꣢वत् ॥११९॥
स्वर सहित पद पाठत꣢म् । इ꣡न्द्र꣢꣯म् । वा꣣जयामसि । महे꣢ । वृ꣣त्रा꣡य꣢ । ह꣡न्त꣢꣯वे । सः । वृ꣡षा꣢꣯ । वृ꣣षभः꣢ । भु꣣वत् ॥११९॥
स्वर रहित मन्त्र
तमिन्द्रं वाजयामसि महे वृत्राय हन्तवे । स वृषा वृषभो भुवत् ॥११९॥
स्वर रहित पद पाठ
तम् । इन्द्रम् । वाजयामसि । महे । वृत्राय । हन्तवे । सः । वृषा । वृषभः । भुवत् ॥११९॥
सामवेद - मन्त्र संख्या : 119
(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » 3; मन्त्र » 5
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 2; खण्ड » 1;
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(कौथुम) पूर्वार्चिकः » प्रपाठक » 2; अर्ध-प्रपाठक » 1; दशतिः » 3; मन्त्र » 5
(राणानीय) पूर्वार्चिकः » अध्याय » 2; खण्ड » 1;
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Mazmoon - پاپوں کے وِناش کے لئے اِندر کو پُکارو!
Lafzi Maana -
(وِرترائے مہے) آتمک شکتیوں کو دبا دینے والے اندر کے روحانی دُشمنوں کام، کرودھ وغیرہ مہا پاپوں کے (ہنتوئے) وِناش کرنے کے لئے (تم اِندرم واج یام اسی) اُس اِندر پرم ایشوریہ وان کی ہم سب ارچنا کرتے ہیں، (سہ وِرشا بُھووت) وہ پرمیشور شکتیوں کی ورشا کرنے والا ہے اور (وِرشبھ) گیان تتھا سُکھ کی بھی ورشا کرتا رہتا ہے۔
Tashree -
اِندر کی پُوجا کریں سُکھ، گیان، شکتی کے لئے، وِگھن، بادھا کرنے والے ناش ہونگے پاپ سب۔
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