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अथर्ववेद > काण्ड 15 > सूक्त 1

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  • अथर्ववेद - काण्ड 15/ सूक्त 1/ मन्त्र 7
    सूक्त - अध्यात्म अथवा व्रात्य देवता - आसुरी पङ्क्ति छन्दः - अथर्वा सूक्तम् - अध्यात्म प्रकरण सूक्त

    नील॑मस्यो॒दरं॒लोहि॑तं पृ॒ष्ठम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नील॑म् । अ॒स्य॒ । उ॒दर॑म् । लोहि॑तम् । पृ॒ष्ठम् ॥१.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नीलमस्योदरंलोहितं पृष्ठम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    नीलम् । अस्य । उदरम् । लोहितम् । पृष्ठम् ॥१.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 15; सूक्त » 1; मन्त्र » 7

    टिप्पणीः - ७−(नीलम्) नि+इल गतौ-क,। इलावाङ्नाम-निघ० १।११। नि निश्चितं ज्ञानम् (अस्य) परमात्मनः (उदरम्) उदरस्थानीयम् (लोहितम्) रुहेरश्च लो वा। उ० ३।९४। रुह बीजजन्मनि प्रादुर्भावे च-इतन्, रस्यलः। उत्पादनसामर्थ्यम् (पृष्ठम्) पृष्ठतुल्यम् ॥

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