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ऋग्वेद मण्डल - 10 के सूक्त 34 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 34/ मन्त्र 13
    ऋषिः - कवष ऐलूष अक्षो वा मौजवान् देवता - अक्षकृषिप्रशंसा छन्दः - त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः

    अ॒क्षैर्मा दी॑व्यः कृ॒षिमित्कृ॑षस्व वि॒त्ते र॑मस्व ब॒हु मन्य॑मानः । तत्र॒ गाव॑: कितव॒ तत्र॑ जा॒या तन्मे॒ वि च॑ष्टे सवि॒तायम॒र्यः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒क्षैः । मा । दी॒व्य॒ह् । कृ॒षिम् । इत् । कृ॒ष॒स्व॒ । वि॒त्ते । र॒म॒स्व॒ । ब॒हु । मन्य॑मानः । तत्त्र॑ । गावः॑ । कि॒त॒व॒ । तत्र॑ । जा॒या । तत् । मे॒ । वि । च॒ष्टे॒ । स॒वि॒ता । अ॒यम् । अ॒र्यः ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अक्षैर्मा दीव्यः कृषिमित्कृषस्व वित्ते रमस्व बहु मन्यमानः । तत्र गाव: कितव तत्र जाया तन्मे वि चष्टे सवितायमर्यः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अक्षैः । मा । दीव्यह् । कृषिम् । इत् । कृषस्व । वित्ते । रमस्व । बहु । मन्यमानः । तत्त्र । गावः । कितव । तत्र । जाया । तत् । मे । वि । चष्टे । सविता । अयम् । अर्यः ॥ १०.३४.१३

    ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 34; मन्त्र » 13
    अष्टक » 7; अध्याय » 8; वर्ग » 5; मन्त्र » 3

    व्याख्याः शृङ्गी ऋषि कृष्ण दत्त जी महाराज -

    व्याख्याः शृङ्गी मुनि कृष्ण दत्त जी महाराज

    जुआ मत खेल

    मेरे पुत्रों! देखो, यह सब हस्तिनापुर में आ पंहुचे, हस्तिनापुर में आने के पश्चात अब अपने अपने कक्ष में गति करते थे। विश्राम में रहते हुए अपने कार्यों का, कर्तव्य का पालन भी करते रहते। अब यह विचार बना कि हम अब इन पाण्डवों को विजय करना चाहते हैं, पाण्डवों को कैसे विजय किया जाए? पाण्डवों को विजय करने लिए उन्होंने शकुनि को आगे किया और शकुनि से कहा तुम जुये में उनको विजय करो। बेटा! षड्यंत्र रचा गया और पाण्डवों को जुये में विजय कर लिया। परन्तु अप्रिय घटना यह हुई।

    जब विनाश का समय आता है तो बुद्धियाँ भी परिवर्तित हो जाती है। बुद्धि में वैसे अङ्कुर हो जाते हैं और शकुनि तो यह कहता रहा कि विधाता विधाताओं के गृह में कोई हार, कोई नीचा और कोई ऊर्ध्व नहीं होता। हम तो यह बनावटी ऐसे ही कार्य कर रहे हैं। आओ, हम कोई ऐसे नहीं हैं जो तुम्हें पामर करना चाहते हों। तो मुनिवरों! स्वभाव में सरल जो युधिष्ठिर भोले भाले थे परन्तु उनकी विचारधारा यह रही कि मिथ्या उच्चारण नहीं कर रहे हैं और अब यह सब कुछ होने के पश्चात द्रौपदी को भी उन्होंने अर्पित कर दिया, तो वे वचनबद्ध हो गए।

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