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  • यजुर्वेद - अध्याय 22/ मन्त्र 21
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - विद्वान् देवता छन्दः - आर्ष्युनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
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    विश्वो॑ दे॒वस्य॑ ने॒तुर्मर्त्तो॑ वुरीत स॒ख्यम्। विश्वो॑ रा॒यऽइ॑षुध्यति द्यु॒म्नं वृ॑णीत पु॒ष्यसे॒ स्वाहा॑॥२१॥

    स्वर सहित पद पाठ

    विश्वः॑। दे॒वस्य॑। ने॒तुः। मर्त्तः॑। बु॒री॒त॒। स॒ख्यम्। विश्वः॑। रा॒ये। इ॒षु॒ध्य॒ति॒। द्यु॒म्नम्। वृ॒णी॒त॒। पु॒ष्यसे॑। स्वाहा॑ ॥२१ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    विश्वो देवस्य नेतुर्मर्ता वुरीत सख्यम् । विश्वो राय इषुध्यति द्युम्नँवृणीत पुष्यसे स्वाहा ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    विश्वः। देवस्य। नेतुः। मर्त्तः। बुरीत। सख्यम्। विश्वः। राये। इषुध्यति। द्युम्नम्। वृणीत। पुष्यसे। स्वाहा॥२१॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 22; मन्त्र » 21
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    पदार्थ -
    १. प्रस्तुत मन्त्र का ऋषि 'स्वस्त्यात्रेय' है। कल्याण को प्राप्त उत्तम स्थितिवाला, काम-क्रोध-लोभ से दूर। इसका मन्तव्य है कि (विश्वः) = इस संसार में प्रविष्ट (मर्त:) = मनुष्य (नेतुः) = सबका प्रणयन करनेवाले देवस्य-दिव्य गुणों के पुञ्ज प्रभु की सख्यम् वरीत मित्रता का वरण करे। संसार में प्रकृति की मित्रता का वरण करके ही मनुष्य उसके पाँवों तले रौंदा जाता है। २. परन्तु संसार के इस स्वरूप को देखता हुआ भी (विश्वः) = सब मनुष्य (रायः) = धनों को ही (इषुध्यति) = चाहता है। धन का दास बनकर मनुष्य सचमुच अपना दासत्व-क्षय [दसु उपक्षये] सिद्ध कर लेता है। यह लक्ष्मी का वाहन उल्लू बन जाता है ‘उत्-उत्कर्षं लुनाति' यह अपने सब उत्कर्ष को खो बैठता है। इसका धन का दास बनना इसके निधन [मृत्यु] का कारण हो जाता है। ३. यह भी ठीक है कि इस संसार में धन के बिना कोई कार्य नहीं चलता, अतः वेद कहता है कि (द्युम्नम्) = इस यज्ञ के कारणभूत धन का भी (वृणीत) = वरण करो, परन्तु (पुष्यसे) = उतना ही जितना कि पोषण के लिए पर्याप्त हो । जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वरण किया गया धन हमारे पतन का कारण नहीं बनता, उसी प्रकार जैसे भोजन शरीर का रक्षण ही करता है। यह अतिभोजन ही है जो शरीर को हानि पहुँचाता है। ४. अतः हम धन के दास न बन जाएँ, इसके लिए हम (स्वाहा) = स्वार्थत्याग की वृत्तिवाले बनें।

    भावार्थ - भावार्थ - इस संसार में हमारी उत्तम स्थिति व कल्याण तभी होगा जब हम प्रभु की मित्रता का वरण करेंगे और धन के दास न बन जाएँगे। धन को हम उतना ही चाहें जितना कि शरीर-पोषण के लिए आवश्यक हो।

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