Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 6 के सूक्त 61 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 6/ सूक्त 61/ मन्त्र 11
    ऋषिः - भरद्वाजो बार्हस्पत्यः देवता - सरस्वती छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    आ॒प॒प्रुषी॒ पार्थि॑वान्यु॒रु रजो॑ अ॒न्तरि॑क्षम्। सर॑स्वती नि॒दस्पा॑तु ॥११॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ॒ऽप॒प्रुषी॑ । पार्थि॑वानि । उ॒रु । रजः॑ । अ॒न्तरि॑क्षम् । सर॑स्वती । नि॒दः । पा॒तु॒ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आपप्रुषी पार्थिवान्युरु रजो अन्तरिक्षम्। सरस्वती निदस्पातु ॥११॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आऽपप्रुषी। पार्थिवानि। उरु। रजः। अन्तरिक्षम्। सरस्वती। निदः। पातु ॥११॥

    ऋग्वेद - मण्डल » 6; सूक्त » 61; मन्त्र » 11
    अष्टक » 4; अध्याय » 8; वर्ग » 32; मन्त्र » 1

    भावार्थ -
    (सरस्वती ) उत्तम ज्ञान वाली विद्यारूप सरस्वती तो ( पार्थिवानि ) पृथिवी में विदित समस्त पदार्थों, ( रजः ) कण २ परमाणु २ समस्त लोकों और ( अन्तरिक्षम् ) अन्तरिक्ष में भी (आपप्रुषी) सर्वत्र व्याप्त है । वह ज्ञानमयी प्रभु की शक्ति हमें ( निदः ) निन्दा करने वाले से ( पातु ) बचावे ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - भरद्वाजो बार्हस्पत्य ऋषिः ॥ सरस्वती देवता ॥ छन्दः – १, १३ निचृज्जगती । २ जगती । ३ विराड् जगती । ४, ६, ११, १२ निचृद्गायत्री । ५, विराड् गायत्री । ७, ८ गायत्री । १४ पंक्ति: ॥ चतुर्दशर्चं सूक्तम् ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top