Loading...
ऋग्वेद मण्डल - 7 के सूक्त 94 के मन्त्र
मण्डल के आधार पर मन्त्र चुनें
अष्टक के आधार पर मन्त्र चुनें
  • ऋग्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • ऋग्वेद - मण्डल 7/ सूक्त 94/ मन्त्र 11
    ऋषिः - वसिष्ठः देवता - इन्द्राग्नी छन्दः - आर्षीगायत्री स्वरः - षड्जः

    उ॒क्थेभि॑र्वृत्र॒हन्त॑मा॒ या म॑न्दा॒ना चि॒दा गि॒रा । आ॒ङ्गू॒षैरा॒विवा॑सतः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒क्थेभिः॑ । वृ॒त्र॒ऽहन्त॑मा । या । म॒न्दा॒ना । चि॒त् । आ । गि॒रा । आ॒ङ्गू॒षैः । आ॒ऽविवा॑सतः ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उक्थेभिर्वृत्रहन्तमा या मन्दाना चिदा गिरा । आङ्गूषैराविवासतः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उक्थेभिः । वृत्रऽहन्तमा । या । मन्दाना । चित् । आ । गिरा । आङ्गूषैः । आऽविवासतः ॥ ७.९४.११

    ऋग्वेद - मण्डल » 7; सूक्त » 94; मन्त्र » 11
    अष्टक » 5; अध्याय » 6; वर्ग » 18; मन्त्र » 5

    भावार्थ -
    ( या ) जो आप दोनों (वृत्रहन्तमा ) दुष्टों को अच्छी प्रकार दण्ड देने वाले, ( उक्थेभिः ) उत्तम वेद-वचनों और ( आमन्दाना ) सब को प्रसन्न करते हुए ( गिरा चित् ) वेद वाणी से और ( आंगूषैः ) उत्तम स्तुति-वचनों और उपदेशों से ( आ विवासतः ) सर्वत्र ज्ञानप्रकाश करते हैं ।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - वसिष्ठ ऋषिः॥ इन्द्राग्नी देवते॥ छन्दः—१, ३, ८, १० आर्षी निचृद् गायत्री । २, ४, ५, ६, ७, ९ , ११ आर्षी गायत्री । १२ आर्षी निचृदनुष्टुप् ॥ द्वादर्शं सूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top