ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 164/ मन्त्र 5
अजै॑ष्मा॒द्यास॑नाम॒ चाभू॒माना॑गसो व॒यम् । जा॒ग्र॒त्स्व॒प्नः सं॑क॒ल्पः पा॒पो यं द्वि॒ष्मस्तं स ऋ॑च्छतु॒ यो नो॒ द्वेष्टि॒ तमृ॑च्छतु ॥
स्वर सहित पद पाठअजै॑ष्म । अ॒द्य । अस॑नाम । च॒ । अभू॑म । अना॑गसः । व॒यम् । जा॒ग्र॒त्ऽस्व॒प्नः । स॒म्ऽक॒ल्पः । पा॒पः । यम् । द्वि॒ष्मः । तम् । सः । ऋ॒च्छ॒तु॒ । यः । नः॒ । द्वे॒ष्टि॒ । तम् । ऋ॒च्छ॒तु॒ ॥
स्वर रहित मन्त्र
अजैष्माद्यासनाम चाभूमानागसो वयम् । जाग्रत्स्वप्नः संकल्पः पापो यं द्विष्मस्तं स ऋच्छतु यो नो द्वेष्टि तमृच्छतु ॥
स्वर रहित पद पाठअजैष्म । अद्य । असनाम । च । अभूम । अनागसः । वयम् । जाग्रत्ऽस्वप्नः । सम्ऽकल्पः । पापः । यम् । द्विष्मः । तम् । सः । ऋच्छतु । यः । नः । द्वेष्टि । तम् । ऋच्छतु ॥ १०.१६४.५
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 164; मन्त्र » 5
अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 22; मन्त्र » 5
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अष्टक » 8; अध्याय » 8; वर्ग » 22; मन्त्र » 5
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भाष्य भाग
हिन्दी (1)
पदार्थ
(वयम्) हम (अनागसः) पापरहित (अभूम) होवें, तो (अद्य) आज ही (अजैष्म) शत्रु को जीत लें-जीत सकें (च) तथा (असनाम) सुख के सम्भाजी हो जावें (जाग्रत्) जाग्रत् अवस्थावाला (स्वप्नः) स्वप्न अवस्थावाला (पापः सङ्कल्पः) पापकारी संकल्प जिस मनुष्य का हो (यं द्विष्मः) जिसके प्रति हम द्वेष करते हैं (तं स-ऋच्छतु) उसको वह प्राप्त होवे (यः-नः-द्वेष्टि) जो हमारे प्रति द्वेष करता है (तम्-ऋच्छतु) उसके प्रति प्राप्त हो ॥५॥
भावार्थ
मनुष्य यदि पापरहित हो जावे, तो अपने विरोधियों पर विजय पा सकता है और सुखद वस्तुओं का सम्भाजक सम्यक् सेवन करनेवाला बन सकता है, अन्य मनुष्य का पापसंकल्प उसी को प्राप्त होता है, जो द्वेष करता है ॥५॥
संस्कृत (1)
पदार्थः
(वयम्-अनागसः-अभूम) वयं पापरहिताः-भवेम (अद्य) अद्यैव (अजैष्म) शत्रून् जितवन्तो भवेम (च) तथा (असनाम) सुख-सम्भाजिनो भवेम (जाग्रत्-स्वप्नः) जाग्रदवस्थाकः स्वप्नावस्थाकः (पापः सङ्कल्पः) पापकारी सङ्कल्पो यस्य जनस्य (यं द्विष्मः) यं वयं दुष्टं द्विष्मः (तं सः-ऋच्छतु) तं प्रति स गच्छतु (यः-नः-द्वेष्टि) यो दुष्टोऽस्मान् द्वेष्टि (तम्-ऋच्छतु) तं प्रति प्राप्नोतु ॥५॥
English (1)
Meaning
(By the grace of Indra, Brahmanaspati, wakeful Pracheta and ever vibrant and loving Angirasa) we have won over sin and evil today, we have obtained love and freedom, and we have become pure and immaculate. Let the residue of sin and undesirable thought in the mind, if any, retire into that negativity hates us and which we reject.
मराठी (1)
भावार्थ
माणूस जर पापरहित झाला तर आपल्या विरोधी लोकांवर विजय प्राप्त करू शकतो व सुखद वस्तूंचे सम्यक सेवन करणारा बनू शकतो. जो द्वेष करतो त्या माणसाला त्याचाच पापसंकल्प प्राप्त होतो. ॥५॥
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