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ऋग्वेद मण्डल - 9 के सूक्त 54 के मन्त्र
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  • ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 54/ मन्त्र 3
    ऋषिः - अवत्सारः देवता - पवमानः सोमः छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः

    अ॒यं विश्वा॑नि तिष्ठति पुना॒नो भुव॑नो॒परि॑ । सोमो॑ दे॒वो न सूर्य॑: ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒यम् । विश्वा॑नि । ति॒ष्ठ॒ति॒ । पु॒ना॒नः । भुव॑ना । उ॒परि॑ । सोमः॑ । दि॒वः । न । सूर्यः॑ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अयं विश्वानि तिष्ठति पुनानो भुवनोपरि । सोमो देवो न सूर्य: ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अयम् । विश्वानि । तिष्ठति । पुनानः । भुवना । उपरि । सोमः । दिवः । न । सूर्यः ॥ ९.५४.३

    ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 54; मन्त्र » 3
    अष्टक » 7; अध्याय » 1; वर्ग » 11; मन्त्र » 3
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    संस्कृत (1)

    पदार्थः

    (सूर्यः न) रविरिव जगत्प्रेरकः (अयम्) असौ परमात्मा (सोमः देवः) सौम्यस्वभावशीलोऽस्ति तथा जगत्प्रकाशकोऽप्यस्ति। अथ च (विश्वानि पुनानः) सर्वं जगत् पवित्रयन् (भुवनोपरि तिष्ठति) अखिलब्रह्माण्डोर्ध्वभागे अपि विराजमानो भवति ॥३॥

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    हिन्दी (3)

    पदार्थ

    (सूर्यः न) सूर्य के समान जगत्प्रेरक (अयम्) यह परमात्मा (सोमः देवः) सौम्य स्वभाववाला और जगत्प्रकाशक है और (विश्वानि पुनानः) सब लोकों को पवित्र करता हुआ (भुवनोपरि तिष्ठति) सम्पूर्ण ब्रह्माण्डों के उर्ध्वभाग में भी वर्तमान है ॥३॥

    भावार्थ

    उसी सर्वपावन परमात्मा की उपासना करनी चाहिये ॥३॥

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    विषय

    पवित्रता व दीप्ति

    पदार्थ

    [१] (अयम्) = यह सोम (विश्वानि) = सब (भुवना) = भुवनों को, लोकों को, शरीर के अंगों को [Localities] (पुनान) = पवित्र करता हुआ (अपरि तिष्ठति) = ऊपर, शरीर के मस्तिष्क रूप द्युलोक में (तिष्ठति) = स्थित होता है। [२] उस समय (सोमः) = यह सोम (देवः न सूर्य:) = देदीप्यमान सूर्य के समान होता है। जैसे सूर्य सब भुवनों के अन्धकार को विनष्ट करता है, इसी प्रकार यह सोम ज्ञानाग्नि का ईंधन बनकर ज्ञानाग्नि को इस प्रकार दीप्त करता है कि सारा अज्ञानान्धकार नष्ट हो जाता है।

    भावार्थ

    भावार्थ - शरीर में सुरक्षित सोम पवित्रता को करता है तथा ज्ञानदीप्ति को प्राप्त कराता है ।

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    विषय

    सर्वोपरि प्रभाव एवं सर्वोपरि राजा।

    भावार्थ

    (देवः सूर्यः न) तेजस्वी सूर्य के समान, (अयं सोमः) यह ईश्वर, सर्व जगत् का पालक, (विश्वानि भुवना पुनानः) समस्त लोकों को पवित्र करता हुआ, चलाता हुआ, सब के (उपरि तिष्ठति) ऊपर विराजता है। (२) इसी प्रकार तेजस्वी शासक भी सूर्यवत् सब के ऊपर विराजे।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अवत्सार ऋषिः॥ पवमानः सोमो देवता ॥ छन्दः- १, ३ निचृद् गायत्री ॥ चतुर्ऋचं सूक्तम् ॥ २, ४ गायत्री।

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    इंग्लिश (1)

    Meaning

    This Soma, lord of light, peace and power, pure and purifying, pervades all regions of the universe in and above, like the divine light which illuminates all regions of the universe.

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    मराठी (1)

    भावार्थ

    त्याच सर्वपावन परमात्म्याची उपासना केली पाहिजे. ॥३॥

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