अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 15/ मन्त्र 3
ऋषिः - अथर्वा
देवता - इन्द्रः
छन्दः - विराट्पथ्यापङ्क्तिः
सूक्तम् - अभय सूक्त
57
इन्द्र॑स्त्रा॒तोत वृ॑त्र॒हा प॑र॒स्फानो॒ वरे॑ण्यः। स र॑क्षि॒ता च॑रम॒तः स म॑ध्य॒तः स प॒श्चात्स पु॒रस्ता॑न्नो अस्तु ॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्रः॑। त्रा॒ता। उ॒त। वृ॒त्र॒ऽहा। प॒र॒स्फानः॑। वरे॑ण्यः। सः। र॒क्षि॒ता। च॒र॒म॒तः। सः। म॒ध्य॒तः। सः। प॒श्चात्। सः। पु॒रस्ता॑त्। नः॒। अ॒स्तु॒ ॥१५.३॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्रस्त्रातोत वृत्रहा परस्फानो वरेण्यः। स रक्षिता चरमतः स मध्यतः स पश्चात्स पुरस्तान्नो अस्तु ॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्रः। त्राता। उत। वृत्रऽहा। परस्फानः। वरेण्यः। सः। रक्षिता। चरमतः। सः। मध्यतः। सः। पश्चात्। सः। पुरस्तात्। नः। अस्तु ॥१५.३॥
भाष्य भाग
हिन्दी (3)
विषय
राजा के कर्त्तव्य का उपदेश।
पदार्थ
(इन्द्रः) इन्द्र [महाप्रतापी राजा] (त्राता) रक्षक, (उत) और (वृत्रहा) शत्रुनाशक, (परस्फानः) श्रेष्ठों का बढ़ानेवाला और (वरेण्यः) स्वीकार करने योग्य है। (सः) वह (चरमतः) अन्त में, (सः) वह (मध्यतः) मध्य में, (सः) वह (पश्चात्) पीछे से, (सः) वह (पुरस्तात्) आगे से (नः) हमारा (रक्षिता) रक्षक (अस्तु) होवे ॥३॥
भावार्थ
न्यायशील बलवान् राजा सब प्रकार से सब दिशाओं में प्रजा की रक्षा करे। आध्यात्मिक पक्ष में (इन्द्रः) का अर्थ “परमेश्वर” है ॥३॥
टिप्पणी
३−(इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् राजा परमेश्वरो वा (त्राता) रक्षकः (उत) अपि च (वृत्रहा) शत्रुनाशकः (परस्फानः) स्फायी वृद्धौ-ल्युट्, यलोपश्छान्दसः, अन्तर्गतण्यर्थः। पराणां श्रेष्ठानां वर्धकः (वरेण्यः) वरणीयः स्वीकरणीयः (सः) (रक्षिता) पालकः (चरमतः) अन्ते (सः) (मध्यतः) मध्ये (सः) (पश्चात्) पृष्ठदेशे (सः) (पुरस्तात्) अग्रदेशे (नः) अस्मभ्यम् (अस्तु) ॥
विषय
त्राता-वृत्रहा
पदार्थ
१. (इन्द्रः) = वह शत्रुविद्रावक, सर्वशक्तिमान् प्रभु (त्राता) = हम सबका रक्षक है-प्रभु ही हमें रोगों के आक्रमण से बचाते हैं उत और प्रभु ही (वृत्रहा) = ज्ञान पर आवरण के रूप में आ जानेवाली वासनाओं को नष्ट करते हैं। इसप्रकार वे प्रभु (परस्फान:) = अत्यन्त उत्कृष्ट [पर] वृद्धि को करनेवाले हैं [स्फायी वृद्धी], (वरेण्यः) = अतएव वरण के योग्य हैं। २. (स:) = वे प्रभु (चरमत:) = अन्त से (रक्षिता) = हमारा रक्षण करनेवाले हैं। (सः) = वे प्रभु ही (मध्यत:) = मध्य से रक्षण करनेवाले हैं और (स:) = वे प्रभु (पश्चात्) = पीछे से व (स:) = वे प्रभु ही (पुरस्तात्) = आगे से (न:) = हमारे [रक्षिता] अस्तु रक्षक हों।
भावार्थ
प्रभु अपने आराधकों को रोगों से बचाते हैं, उनकी वासनाओं का विनाश करते हैं। इसप्रकार उनका वर्धन करते हैं, अतएव वे प्रभु 'वरेण्य हैं। वे प्रभु हमारे सर्वत: रक्षक हों।
भाषार्थ
(इन्द्रः) सेनाधीश (त्राता) पालक है, (उत) और (वृत्रहा) राष्ट्र पर घेरा डालनेवालों का हनन करता है, (परस्फानः) वह प्रभूत वृद्धि करता, (वरेण्यः) तथा वरण करने योग्य श्रेष्ठ पुरुष है। (सः) वह (नः रक्षिता) हमारा रक्षक हो। (चरमतः) राष्ट्र की चरम सीमाओं से (सः) वह रक्षक हो। (मध्यतः) राष्ट्र के बीच के भाग से (सः) वह रक्षक हो। (पश्चात्) पश्चिम दिशा से, (सः) वह (पुरस्तात्) पूर्व दिशा से रक्षक (अस्तु) हो।
टिप्पणी
[मध्यतः= राष्ट्र के बीच यदि निज प्रजा के लोगों द्वारा विद्रोह या विप्लव उठे, तो उससे भी रक्षा करनेवाला। परस्फानः=पर (परम)+सफानः (स्फायी वृद्धौ)। वृत्रहा= वृत्र (वृञ्) आवरण करने वाला, घेरा डालने वाला+हा (हनन करने वाला। वरेण्यः=राजा द्वारा चुना गया) (Nominated)। राजा को तो प्रजा चुनती है, और इन्द्र आदि को राजा चुनता है।]
इंग्लिश (4)
Subject
Fearlessness
Meaning
Indra is the saviour, protector and promoter, breaker of the cloud, dispeller of darkness and mover of stagnation. Indra is upraiser of the farthest and the highest, the lord worthy of choice and adoration. May he be our protector from the top on high, from the middle, from behind and from the front.
Translation
The resplendent Lord is the saviour as well as the destroyer of nescience; He is the defender against enemies and is the best to choose. May He be our protector at the extreme ends, He in the middle, He from the front and He from behind.
Translation
May Indra, the Almighty God, who is the destroyer of all calamities; the protector of all from troubles and is the preserver and supreme one, be our protector from the end, from the center, from behind and from the front.
Translation
The Mighty God is the Protector, Evil-Destroyer, the shielder from adverse forces of wickedness, and Worthy of respect by all. May He be our Protector from the extremes, in the middle, from behind and in front.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
३−(इन्द्रः) परमैश्वर्यवान् राजा परमेश्वरो वा (त्राता) रक्षकः (उत) अपि च (वृत्रहा) शत्रुनाशकः (परस्फानः) स्फायी वृद्धौ-ल्युट्, यलोपश्छान्दसः, अन्तर्गतण्यर्थः। पराणां श्रेष्ठानां वर्धकः (वरेण्यः) वरणीयः स्वीकरणीयः (सः) (रक्षिता) पालकः (चरमतः) अन्ते (सः) (मध्यतः) मध्ये (सः) (पश्चात्) पृष्ठदेशे (सः) (पुरस्तात्) अग्रदेशे (नः) अस्मभ्यम् (अस्तु) ॥
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