अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 54/ मन्त्र 2
का॒लेन॒ वातः॑ पवते का॒लेन॑ पृथि॒वी म॒ही। द्यौर्म॒ही का॒ल आहि॑ता ॥
स्वर सहित पद पाठका॒लेन॑। वातः॑। प॒व॒ते॒। का॒लेन॑। पृ॒थि॒वी। म॒ही। द्यौः। म॒ही। का॒ले। आऽहि॑ता ॥५४.२॥
स्वर रहित मन्त्र
कालेन वातः पवते कालेन पृथिवी मही। द्यौर्मही काल आहिता ॥
स्वर रहित पद पाठकालेन। वातः। पवते। कालेन। पृथिवी। मही। द्यौः। मही। काले। आऽहिता ॥५४.२॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
काल की महिमा का उपदेश।
पदार्थ
(कालेन) काल [समय] के साथ (वातः) पवन (पवते) शुद्ध करता है, (कालेन) काल के साथ (पृथिवी) पृथिवी (मही) बड़ी है। (काले) काल में (मही) बड़ा (द्यौः) आकाश (आहिता) रक्खा है ॥२॥
भावार्थ
समय के कारण वायु, पृथिवी, आकाश आदि के परमाणु संयोग पाकर साकार होकर संसार का उपकार करते हैं ॥२॥
टिप्पणी
२−(कालेन) (वातः) वायुः (पवते) पुनाति। शोधयति (कालेन) (पृथिवी) (मही) महती वर्तते (द्यौः) आकाशः (मही) महती (काले) (आहिता) स्थापिता ॥
भाषार्थ
(कालेन) समय पर (वातः) वायुः (पवते) बहती है। (कालेन) समय पर (पृथिवी) पृथिवी (मही) महापरिमाण वाली हुई है। (मही) महापरिमाण वाला (द्यौः) द्युलोक (काले) समय पर (आहिता) स्थापित हुआ है। [आकाश में]।
टिप्पणी
[वातः पवते=कभी पूर्वी वायु बहती है, कभी मानसून वायु, कभी ग्रीष्म ऋतु की झंझावात आदि। मही=पृथिवी कभी आग्नेयरूप थी, फिर द्रवरूप हुई, अब “दृढा” होकर महापरिमाणवाली हुई दीखती है। “येन द्यौरुग्रा पृथिवी च दृढा” (यजुः० ३२.६)। द्युलोक अभी तक उग्र अर्थात् आग्नेयरूप है।]
विषय
'वात, पृथिवी, द्यौः'
पदार्थ
१ उस (कालेन) = काल नामक प्रभु की व्यवस्था से (वात:पवते) = वायु बहती है [भीषाऽस्माद् वातः पवते । तै आ० ८.८.१] । (कालेन) = इस काल से ही (मही पृथिवी) = यह महत्वपूर्ण पृथिवी लोक (आहिता) = दृढ़ता से स्थापित हुआ है। २. यह (मही द्यौः) = महत्त्वपूर्ण धुलोक भी (काले) = उस काल नामक प्रभु में ही [आहिता] स्थापित है।
भावार्थ
'वायु [अन्तरिक्ष], पृथिवी व द्युलोक' इनका धारण करनेवाला वह काल नामक प्रभु ही है।
विषय
कालरूप परमशक्ति।
भावार्थ
(कालेन) उस काल परमेश्वर के बल से (वातः पवते) वायु बहता है (कालेन) काल के बल से (मही पृथिवी) यह बड़ी पृथ्वी (पवते) गति कर रही है। और (काले) उसी काल रूप परमेश्वर के आश्रय में (मही द्यौः आहिता) बड़ी विशाल द्यौः, नक्षत्र चक्र भी आश्रित है।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
भृगुर्ऋषिः। कालो देवता। २ त्रिपदा गायत्री। ५ त्र्यवसाना षट्पदा विराड् अष्टिः। शेषा अनुष्टुभः। पञ्चर्चं सूक्तम्।
इंग्लिश (4)
Subject
Kala
Meaning
By Kala does the wind blow, by Kala does the great earth move in balance. Both the great heaven and earth exist and subsist in Kala.
Translation
By Time: the wind blows afresh; by Time mighty is the earth. The sky is great. Being set in Time.
Translation
The wind blows by Kala and the earth is stretched vast by the Kala and the mighty sky rests on the Kala.
Translation
The wind blows by His force. The great earth rotates and revolves through His energy. The vast heavens rest in Him.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
२−(कालेन) (वातः) वायुः (पवते) पुनाति। शोधयति (कालेन) (पृथिवी) (मही) महती वर्तते (द्यौः) आकाशः (मही) महती (काले) (आहिता) स्थापिता ॥
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