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अथर्ववेद के काण्ड - 20 के सूक्त 39 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 39/ मन्त्र 3
    ऋषिः - गोषूक्तिः, अश्वसूक्तिः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-३९
    33

    उद्गा आ॑ज॒दङ्गि॑रोभ्य आ॒विष्कृ॒ण्वन्गुहा॑ स॒तीः। अ॒र्वाञ्चं॑ नुनुदे व॒लम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ


    स्वर रहित मन्त्र

    उद्गा आजदङ्गिरोभ्य आविष्कृण्वन्गुहा सतीः। अर्वाञ्चं नुनुदे वलम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 39; मन्त्र » 3
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    परमेश्वर की उपासना का उपदेश।

    पदार्थ

    (गुहा) गुहा [गुप्त अवस्था] में (सतीः) वर्तमान (गाः) वाणियों को (आविः कृण्वन्) प्रकट करते हुए उस [परमेश्वर] ने (अङ्गिरोभ्यः) विज्ञानी पुरुषों के लिये (उत् आजत्) ऊँचा पहुँचाया और (वलम्) हिंसक [विघ्न] को (अर्वाञ्चन्) नीचे (नुनुदे) हटाया ॥३॥

    भावार्थ

    प्रलय के पीछे परमात्मा ने वेदों का उपदेश करके हमारे सब विघ्न मिटाये हैं ॥३॥

    टिप्पणी

    ३−मन्त्राः २- व्याख्याताः-अ०२–०।२८।१-४॥

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    विषय

    वल' का अपनोदन

    पदार्थ

    २. प्रभु (अंगिरोभ्यः) = गतिशील पुरुषों के लिए (ग्रहासती:) = अविद्यापर्वत की गुफा में बन्द सी हुई-हुई (गा:) = इन्द्रियों को (आविष्कृण्वन्) = पुन: अज्ञानान्धकार से बाहर लाते हुए (उद् आजत) = उत्कृष्ट गतिवाला करते हैं। २. इसी उद्देश्य से वे प्रभु (वलम्) = इस वासना के पर्दे को (अर्वाञ्चं नुनदे) = अधोमुख करके विनष्ट कर डालते हैं। वासनारूप पर्दे के हटने पर ही तो ज्ञान का प्रकाश होगा।

    भावार्थ

    प्रभु-कृपा से वासना विनष्ट होती है और इन्द्रियों प्रकाशमय होकर उत्कृष्ट गतिवाली होती हैं।

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    भाषार्थ

    (अङ्गिरोभ्यः) प्राणायामाभ्यासियों के लिए परमेश्वर ने (गाः) ज्ञान की किरणों को (उद् आजत्) उद्बुद्ध किया है, अर्थात् (गुहा सतीः) हृदय की गुफा में छिपी ज्ञान की किरणों को (आविष्कृण्वन्) परमेश्वर ने प्रकट कर दिया है, (वलम्) और ज्ञानकिरणों पर पड़े आवरण को, रजस् और तमस् को, मानो (अर्वाञ्चम् नुनुदे) उसने नीचे पटक दिया है।

    टिप्पणी

    [प्राणयाम के परिपक्क हो जाने पर, ज्ञानप्रकाश पर पड़ा आवरण, क्षीण हो जाता है। “ततः क्षीयते प्रकाशावरणभ्” (योगदर्शन २.५२)।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    lndra Devata

    Meaning

    When the lord shakes up our psychic energies to the depths and throws out our darkness and negativities, then he sharpens our senses along with pranic energies and opens out our spiritual potential hidden in the cave of the heart.

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    Translation

    Almighty God making the hidden rays mainfest for inflaming fire of atmosphere cast down the cloudy darkness.

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    Translation

    Almighty God making the hidden rays manifest for inflaming firs of atmosphere cast down the cloudy darkness.

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    Translation

    The Omniscient God, revealing the Vedic knowledge, present in the innermost recesses of mind, to the seers, shatters down the darkening ignorance.

    Footnote

    `Angiras' are not a special tribe of sages, but it is a general term for the seers of truths of Vedic learning.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ३−मन्त्राः २- व्याख्याताः-अ०२–०।२८।१-४॥

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