अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 56/ मन्त्र 5
मा॒दय॑स्व सु॒ते सचा॒ शव॑से शूर॒ राध॑से। वि॒द्मा हि त्वा॑ पुरू॒वसु॒मुप॒ कामा॑न्त्ससृ॒ज्महेऽथा॑ नोऽवि॒ता भ॑व ॥
स्वर सहित पद पाठमा॒दय॑स्व । सु॒ते । सचा॑ । शव॑से । शू॒र॒ । राध॑से ॥ वि॒द्म । हि । त्वा॒ । पु॒रु॒ऽवसु॑म् । उप॑ । कामा॑न् । स॒सृ॒ज्महे॑ । अथ॑ । न॒: । अ॒वि॒ता । भ॒व॒ ॥५६.५॥
स्वर रहित मन्त्र
मादयस्व सुते सचा शवसे शूर राधसे। विद्मा हि त्वा पुरूवसुमुप कामान्त्ससृज्महेऽथा नोऽविता भव ॥
स्वर रहित पद पाठमादयस्व । सुते । सचा । शवसे । शूर । राधसे ॥ विद्म । हि । त्वा । पुरुऽवसुम् । उप । कामान् । ससृज्महे । अथ । न: । अविता । भव ॥५६.५॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
सभापति के लक्षण का उपदेश।
पदार्थ
(शूर) हे शूर ! (सुते) उत्पन्न जगत् में (सचा) नित्य मेल के साथ (शवसे) बल के लिये और (राधसे) धन के लिये (मादयस्व) आनन्द दे। (त्वा) तुझको (हि) निश्चय करके (पुरुवसुम्) बहुतों में श्रेष्ठ (विद्म) हम जानते हैं, और (कामान्) मनोरथों को (उप) समीप से (ससृज्महे) हम सिद्ध करते हैं, (अथ) इसलिये तू (नः) हमारा (अविता) रक्षक (भव) हो ॥॥
भावार्थ
बल और धन की वृद्धि के लिये शूर सेनापति के आश्रय से मनोरथ सिद्ध करके रक्षा करे ॥॥
टिप्पणी
−(मादयस्व) आनन्दय (सुते) उत्पन्ने जगति (सचा) समवायेन। नित्यसम्बन्धेन (शवसे) बलाय (शूर) हे शत्रुनिवारक (राधसे) धनाय (विद्म) जानीमः (हि) अवधारणे (त्वा) त्वाम् (पुरुवसुम्) बहुषु श्रेष्ठम् (उप) समीपे (कामान्) मनोरथान् (ससृज्महे) सृज विसर्गे, विकरणस्य श्लुः। निष्पादयामः। साधयामः (अथ) अनन्तरम् (नः) अस्माकम् (अविता) अवतेस्तृच्। रक्षकः (भव) ॥
विषय
'पुरूवसु प्रभु
पदार्थ
१. हे (शूर) = शत्रुओं को शीर्ण करनेवाले प्रभो! (सुते) = सोम का सम्पादन होने पर (सचा) = मेल के द्वारा-हमें अपना सान्निध्य प्राप्त कराने के द्वारा (मादयस्व) = आनन्दित कीजिए। इसप्रकार आप हमारे (शवसे) = बल के लिए होइए तथा (राधसे) = सफलता व सिद्धि के लिए होइए। आपके मेल से हम शक्ति-सम्पन्न बनें और सब कार्यों को सिद्ध कर सकें। २. हम (त्वा) = आपको (हि) = निश्चय से (पुरूवसुम्) = अनन्त ऐश्वर्यवाला (विद्य) = जानते हैं। हम (उप) = आपकी उपासना में (कामान्) = अभिलाषाओं को (संसृज्महे) = उत्पन्न करते हैं। आपके समीप ही सब इच्छाओं को प्रकट करते हैं। (अथा) = अब आप (न:) = हमारे (अविता) = सब भागों का दोहन [प्रपूरण] करनेवाले (भव) = होइए। हमारे लिए सब भजनीय धनों को देनेवाले होइए।
भावार्थ
प्रभु का सान्निध्य ही आनन्द, शक्ति, सफलता व ऐश्वर्य' का साधक होता है।
भाषार्थ
हे परमेश्वर! (सुते) भक्तिरस की निष्पत्ति में आप और हम (सचा) जब इकट्ठे हों, तब भक्तिरस के आस्वादन द्वारा आप अपने आप को, और आनन्दरस के प्रदान द्वारा हम उपासकों को (मादयस्व) प्रसन्न कीजिए। ताकि (शूर) हे दानशूर! (शवसे) हम आध्यात्मिक बल प्राप्त कर सकें, और (राधसे) सिद्धियाँ प्राप्त कर सकें। (हि) निश्चयपूर्वक (त्वा) आपको (विद्म) हम जानते हैं कि आप (पुरूवसुम्) प्रभूत सम्पत्शाली हैं। आप और हम (कामान्) परस्पर की कामनाओं का (उप ससृज्महे) संसर्ग करते हैं। (तथा) तदनन्तर आप (नः) हमारे (अविता) रक्षक (भव) हुजिए।
टिप्पणी
[उपासक की कामना है—आनन्दरस, ईश्वर, और मोक्षप्राप्ति परमेश्वर की कामना है—भक्तिरस, उपासकद्वारा समर्पण, और उपासक को जन्म-मरण की शृंङ्खला से छुड़ाना। इन दोनों की कामनाओं का संसर्ग यहाँ अभीष्ट है।]
विषय
दानशील ईश्वर।
भावार्थ
हे (शूर) शूरवीर ! इन्द्र सर्वशक्तिमान् शत्रुनाशक ! तू (सुते) अपने इस उत्पन्न जगत् में (शवसे) अपने महान् बल और (राधसे) अपने महान् ऐश्वर्य के कारण तू (सचा) सबको एक काल में या नित्य ही (मादयस्व) आनन्द से तृप्त और हर्षित करने में समर्थ हो। (त्वा) तुझ (पुरुवसुम्) बड़े ऐश्वर्यों के स्वामी को ही हम (विद्महि) भली प्रकार जानें, प्राप्त करें। (कामान्) समस्त कामनाओं को (त्वा उपसमृज्महे) तेरे ही पर छोड़ते हैं। (अथ नः) और अब हमारा तु ही (अविता भव) रक्षक हो।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
गोतम ऋषिः। इन्द्रो देवता। त्रिष्टुभः। षडृचं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Indra Devata
Meaning
Brave hero, be with us in this holy yajnic programme of the land of freedom and sovereignty for the creation of wealth, power and joy. Join us and let us celebrate together. Lord of abundant wealth, power and joy you are. May we, we pray, know you and be with you at the closest. Be our saviour, our protector, our promoter, so that we may creatively realise all our desires and ambitions.
Translation
O bold one, in this world for the gain of fame and respect you give delight to all together. We know you as the possessor of plentiful riches. We leave our all desires upon you. You become my protector.
Translation
O bold one, in this world for the gain of fame and respect you give delight to all together. We know you as the possessor of plentiful riches. We leave our all desires upon you. You become my protector.
Translation
O Great Destroyer of evil forces or brave king or commander, refresh Thou in this world for bounty and strength. Verily we know Thee as Lord of great fortunes. We leave our desires for Thee to be fulfilled. Lest Thou be our Protector.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
−(मादयस्व) आनन्दय (सुते) उत्पन्ने जगति (सचा) समवायेन। नित्यसम्बन्धेन (शवसे) बलाय (शूर) हे शत्रुनिवारक (राधसे) धनाय (विद्म) जानीमः (हि) अवधारणे (त्वा) त्वाम् (पुरुवसुम्) बहुषु श्रेष्ठम् (उप) समीपे (कामान्) मनोरथान् (ससृज्महे) सृज विसर्गे, विकरणस्य श्लुः। निष्पादयामः। साधयामः (अथ) अनन्तरम् (नः) अस्माकम् (अविता) अवतेस्तृच्। रक्षकः (भव) ॥
बंगाली (2)
मन्त्र विषय
সভাপতিলক্ষণোপদেশঃ
भाषार्थ
(শূর) হে বীর ! (সুতে) উৎপন্ন জগতে (সচা) নিত্য মেল-বন্ধনের সহিত (শবসে) বল ও (রাধসে) ধনের জন্য (মাদয়স্ব) আনন্দ প্রদান করো। (ত্বা) তোমাকে (হি) নিশ্চিতরূপে (পুরুবসুম্) অনেকের মধ্যে শ্রেষ্ঠ (বিদ্ম) আমরা জানি, এবং (কামান্) মনোরথ (উপ) সমীপ থেকে (সসৃজ্মহে) আমরা সিদ্ধ করি, (অথ) এইজন্য তুমি (নঃ) আমাদের (অবিতা) রক্ষক (ভব) হও ॥৫॥
भावार्थ
প্রজাগণ বল ও ধনের বৃদ্ধির জন্য বীর সেনাপতির আশ্রয়ে, মনোরথ সিদ্ধ করে রক্ষিত হোক॥৫॥
भाषार्थ
হে পরমেশ্বর! (সুতে) ভক্তিরস নিষ্পত্তিতে আপনি এবং আমি/আমরা (সচা) যখন একত্রিত হব, তখন ভক্তিরসের আস্বাদন দ্বারা আপনি নিজেকে , এবং আনন্দরস প্রদান দ্বারা আমাদের [উপাসকদের] (মাদয়স্ব) প্রসন্ন করুন। যাতে (শূর) হে দানবীর! (শবসে) আমরা আধ্যাত্মিক বল প্রাপ্ত করতে পারি, এবং (রাধসে) সিদ্ধি প্রাপ্ত করতে পারি। (হি) নিশ্চিতরূপে (ত্বা) আপনাকে (বিদ্ম) আমরা জানি যে, আপনি (পুরূবসুম্) প্রভূত সম্পৎশালী। আপনি এবং আমি/আমরা (কামান্) পরস্পর কামনা-সমূহের (উপ সসৃজ্মহে) সংসর্গ করি। (তথা) তদনন্তর আপনি (নঃ) আমাদের (অবিতা) রক্ষক (ভব) হন।
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