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अथर्ववेद के काण्ड - 6 के सूक्त 134 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 134/ मन्त्र 2
    ऋषिः - शुक्र देवता - वज्रः छन्दः - भुरिक्त्रिपदा गायत्री सूक्तम् - शत्रुनाशन सूक्त
    56

    अध॑रोऽधर॒ उत्त॑रेभ्यो गू॒ढः पृ॑थि॒व्या मोत्सृ॑पत्। वज्रे॒णाव॑हतः शयाम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अध॑र:ऽअधर: । उत्त॑रेभ्य: । गू॒ढ: । पृ॒थि॒व्या: । मा । उत् । सृ॒प॒त् । वज्रे॑ण । अव॑ऽहत: । श॒या॒म् ॥१३४.२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अधरोऽधर उत्तरेभ्यो गूढः पृथिव्या मोत्सृपत्। वज्रेणावहतः शयाम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अधर:ऽअधर: । उत्तरेभ्य: । गूढ: । पृथिव्या: । मा । उत् । सृपत् । वज्रेण । अवऽहत: । शयाम् ॥१३४.२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 6; सूक्त » 134; मन्त्र » 2
    Acknowledgment

    हिन्दी (3)

    विषय

    शत्रुओं के शासन का उपदेश।

    पदार्थ

    [वह शत्रु] (उत्तरेभ्यः) ऊँचे लोगों से (अधरोऽधरः) नीचे-नीचे और (गूढः) गुप्त होकर (पृथिव्याः) पृथिवी से (मा उत् सृपत्) कभी न उठे, और (वज्रेण) वज्र से (अवहतः) मार डाला गया (शयाम्) पड़ा रहे ॥२॥

    भावार्थ

    अधर्मी लोगों को श्रेष्ठों के बीच उच्च आसन कभी न मिले ॥२॥

    टिप्पणी

    २−(अधरोऽधरः) अतिशयेनाधरः। निकृष्टतरः (उत्तरेभ्यः) उत्कृष्टतरेभ्यः (गूढः) संवृतः (पृथिव्याः) भूमेः सकाशात् (मा) निषेधे (उत्सृपत्) उत्सर्पतु। उत्तिष्ठतु (वज्रेण) (अवहतः) चूर्णीकृतः (शयाम्) लोपस्त आत्मनेपदेषु। पा० ७।१।४१। तलोपः। शेताम्। म्रियतामित्यर्थः ॥

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    विषय

    अधर्मी का पतन

    पदार्थ

    १. यह शत्रु (वज्रेण अवहतः) = वन से चुर्णीकृत हुआ-हुआ (शयाम) = सो जाए-मर जाए। यह (उत्तरेभ्यः) = उत्कृष्ट मनुष्यों से (अधरः अधर:) = नीचे-ही-नीचे रहकर (पृथिव्याः गूढ:) = पृथिवी से संवृत हुआ-हुआ (मा उत्सपत्) = कभी न उठे।

    भावार्थ

    अधर्मी कभी ऊपर न उठ सके।

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    भाषार्थ

    (उत्तरेभ्यः) उत्कृष्ट राजाओं से (अधरः) नीच और (अधरः) अति नीच यह शत्रु राजा (गूढः) पृथिवी से ढका हुआ, (पृथिव्याः) पृथिवी से (उत्) ऊपर (सृपत् मा) सर्पण न करे। (वज्रेण) वज्र द्वारा (हतः) मारा हुआ (अव) पृथिवी के नीचे (शयाम् = शेताम्) सोया पड़े।

    टिप्पणी

    [उत्तरेभ्यः = उत्कृष्ट राजा वे हैं जिनके सम्बन्ध में "तर्पयताम्" (मन्त्र १) कहा है। शयाम् = लोपस्त आत्मनेपदेषु (अष्टा० ७।१।४१) द्वारा "त्" का लोप।]

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Destruction of Enemies

    Meaning

    Let the enemy he down and low below the higher ones in the depth of earth. Let him never rise up, let him he flat, smitten by the thunderbolt.

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    Translation

    Lower and lower than his superiors, may he go underground. May he not rise on the earth. Smitten with thunder-bolt, may he lie down.

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    Translation

    Let the enemy do not rise, make him down and down beneath the conquerors and let him lie down smitten with bolt.

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    Translation

    Down, down beneath the conquerors, let him not rise, concealed in earth, but lie down-smitten with the bolt.

    Footnote

    Him: The wicked person.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २−(अधरोऽधरः) अतिशयेनाधरः। निकृष्टतरः (उत्तरेभ्यः) उत्कृष्टतरेभ्यः (गूढः) संवृतः (पृथिव्याः) भूमेः सकाशात् (मा) निषेधे (उत्सृपत्) उत्सर्पतु। उत्तिष्ठतु (वज्रेण) (अवहतः) चूर्णीकृतः (शयाम्) लोपस्त आत्मनेपदेषु। पा० ७।१।४१। तलोपः। शेताम्। म्रियतामित्यर्थः ॥

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