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  • यजुर्वेद - अध्याय 8/ मन्त्र 6
    ऋषिः - भरद्वाज ऋषिः देवता - गृहपतयो देवताः छन्दः - निचृत् आर्षी त्रिष्टुप्, स्वरः - धैवतः
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    वा॒मम॒द्य स॑वितर्वा॒ममु श्वो दि॒वेदि॑वे वा॒मम॒स्मभ्य॑ꣳ सावीः। वा॒मस्य॒ हि क्षय॑स्य देव॒ भूरे॑र॒या धि॒या वा॑म॒भाजः॑ स्याम॥६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वा॒मम्। अ॒द्य। स॒वि॒तः॒। वा॒मम्। ऊँ॒ऽइत्यूँ॑। श्वः। दि॒वेदि॑व॒ इति॑ दि॒वेऽदि॑वे। वा॒मम्। अ॒स्मभ्य॑म्। सा॒वीः। वा॒मस्य॑। हि। क्षय॑स्य। दे॒व॒। भूरेः॑। अ॒या। धि॒या। वाम॑भाज॒ इति॑ वाम॒ऽभाजः॑। स्या॒म॒ ॥६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वाममद्य सवितर्वाममु श्वो दिवेदिवे वाममस्मभ्यँ सावीः । वामस्य हि क्षयस्य देव भूरेरया धिया वामभाजः स्याम ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    वामम्। अद्य। सवितः। वामम्। ऊँऽइत्यूँ। श्वः। दिवेदिव इति दिवेऽदिवे। वामम्। अस्मभ्यम्। सावीः। वामस्य। हि। क्षयस्य। देव। भूरेः। अया। धिया। वामभाज इति वामऽभाजः। स्याम॥६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 8; मन्त्र » 6
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    Translation -
    O creator God, create for us a pleasing today, a pleasing tomorrow and pleasing every day that comes. O God, with this faithful praise, may we obtain a pleasing and luxurious house to live in and may we be the enjoyers of all that is good (1)

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