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अथर्ववेद > काण्ड 3 > सूक्त 26

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  • अथर्ववेद - काण्ड 3/ सूक्त 26/ मन्त्र 1
    सूक्त - अथर्वा देवता - रुद्रः, प्राचीदिशा साग्निः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - दिक्षु आत्मारक्षा सूक्त

    ये॒स्यां स्थ प्राच्यां॑ दि॒शि हे॒तयो॒ नाम॑ दे॒वास्तेषां॑ वो अ॒ग्निरि॑षवः। ते नो॑ मृडत॒ ते नो ऽधि॑ ब्रूत॒ तेभ्यो॑ वो॒ नम॒स्तेभ्यो॑ वः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ये । अ॒स्याम् । प्राच्या॑म् । दि॒शि । हे॒तय॑: । नाम॑ । दे॒वा: । तेषा॑म् । व॒: । अ॒ग्नि: । इष॑व: । ते । न॒: । मृ॒ड॒त॒ । ते । न॒: । अधि॑ । ब्रू॒त॒ । तेभ्य॑: । व॒: । नम॑: । तेभ्य॑: । व॒: । स्वाहा॑ ॥२६.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    येस्यां स्थ प्राच्यां दिशि हेतयो नाम देवास्तेषां वो अग्निरिषवः। ते नो मृडत ते नो ऽधि ब्रूत तेभ्यो वो नमस्तेभ्यो वः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ये । अस्याम् । प्राच्याम् । दिशि । हेतय: । नाम । देवा: । तेषाम् । व: । अग्नि: । इषव: । ते । न: । मृडत । ते । न: । अधि । ब्रूत । तेभ्य: । व: । नम: । तेभ्य: । व: । स्वाहा ॥२६.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 3; सूक्त » 26; मन्त्र » 1

    Word Meaning -
    पूर्व दिशा में हमारे सम्मुख स्थित (सूर्य) प्रत्यक्ष रूप से तम के आसुरी भावों (आलस्य, निद्रा , प्रमाद , अवसाद जैसी तामसिक अंधकारमयी वृत्तियों का ) नाश कर के समस्त संसार को रात्रि की निद्रा से उठा कर स्वप्रेरित दैनिक दिनचर्या में उद्यत करता है | सूर्याग्नि –ऊर्जावान देवत्व से उपलब्ध निरन्तर चरैवेति चरैवेति प्रगतिशील कर्मठता की प्रेरणा देता है. यही हमारे सुखों का साधन होता है, विद्वत्जन- वेद विद्या , इस ( सुर्याग्नि) की ऊर्जा के विज्ञान का अनुसंधान करें और हमें उपदेश करें, जिस के लिए सदैव श्रद्धा पूर्वक नमन कर के यज्ञाहुति अर्पित करते हैं. (यही संदेश ‘तमसोमामृतं गमय मृत्योर्मामृतं गमय’ में निहित है. एक उदाहरण के लिए संसारिक भौतिक सुख साधनों में आत्मचिंतन द्वारा आधुनिक विद्युत उत्पादन द्वारा पर्यावरण की हानि को देखते हुए सौर ऊर्जा के प्रयोग मे प्रगति इसी दिशा में प्रगति का द्योतक है. कहा जा रहा है कि जर्मनी शीघ्र ही अपनी विद्युत उत्पादन की आवश्यकता का 80% सौर ऊर्जा द्वारा प्राप्त करने का लक्ष्य पा लेगा. इसी प्रकार स्वीडन निकट भविष्य में अपने 80% वाहनों को पर्यावरण को क्षति पहुंचाने वाले डीज़ल पेट्रोल की बजाए पुरीष इत्यादि नागरिक कूड़े कचड़े से गैस उत्पाद से चला पाएगा. ) In the East in front of us as sun rises all negative dark tendencies (of sleepiness, laziness, procrastination, and despondency) are dispelled. Entire world by itself wakes up from rest & slumber of night and sets about its daily chores. Sun provides the inspiration to be activated with energy in our efforts to make continuous progress. This is the forbearer of our comforts in life; learned persons should explore these energy sciences and educate us in their use. For this act of kindness we are ever grateful to the Almighty and follow him with full dedication by making our offerings in Agnihotra . ( This is the essence of Vedic exhortation ‘तमसोमामृतं गमय मृत्योर्मामृतं गमय’ . One example is that on realising the threat and damage to environments and population by reliance on fossil fuels and damage to ecology in conventional methods of electricity generation, Germany is aiming to reach the target of producing 80% of its electricity needs by Solar cogeneration. Similarly Sweden is aiming to make use of its municipal waste methane production to replace 80% of its fossil fuel needs in transport sector.)

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